अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Saturday, October 27, 2012

अभिशप्त (Shakti) [2008]

Year - 2008
Posted - Raj Comics Website & Forums
 

वरुण देव के पुत्र, तरुण देव स्वर्ग के युवा और सबका ध्यान आकर्षित करने वाले देव थे. परन्तु इस कारण उनके बहुत से साथी युवा देव तरुण देव से इर्ष्या करने लगे थे. उनमे से कुछ युवा देव मिलकर एक देवपुत्री को अपनी योजना मे मिला लेते है और वो देवपुत्री तरुण देव पर उनसे ज़बरदस्ती विवाह करने का दबाव डालने  और उनके परिवार को घायल करने के आरोप लगाती है. इस कारण तरुण देव की बदनामी होती है और उनके पिता वरुण देव उन्हें दण्डित करने के लिए तरुण देव को कुछ साल धरती पर रहने का शाप देते है. व्यथित तरुण देव पृथ्वी पर अज्ञात वास का जीवन व्यतीत करने लगते है.
इसके बाद पृथ्वी पर जगह - जगह किसी अनजान शक्ति द्वारा बड़ी संख्या मे महिलाओ पर हमले, अत्याचार किए जा रहे थे. हर बार शक्ति के उस जगह पर पहुँचने पर वो शक्तिधारक वहां से गायब हो जाता था. शक्ति उस अनजान हमलावर को इतने समय तक नही पकड़ पाने की वजह से चिंतित थी.

कुछ समय बाद शक्ति के सामने अब वो हमलावर आ तो रहा था लेकिन शक्ति के उस तक पहुँचने से पहले ही वो गायब हो जाता था. शक्ति ऐसी एक घटना के दौरान तेज़ी दिखाती है और उस शक्तिधारक से युद्ध करने लगती है.......वो शक्तिधारक और कोई नही बल्कि स्वर्ग से निष्काषित तरुण देव था. पर वहां उपस्थित महिलाओ के एक दल पर हमला करके तरुण देव शक्ति का ध्यान बटा कर वहां से भाग जाते है.

नारी जाती पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए शक्ति पृथ्वी के अनगिनत चक्कर काट कर तरुण देव को पहचान कर उन्हें पकड़ लेती है और तब एक बार फिर से इन दोनों का युद्ध होता है. इन दोनों की बहुत सी देव उर्जा और प्रताप इस युद्ध के दौरान नष्ट हो जाता है.....इस कारण तरुण देव एक बार फिर से शक्ति का ध्यान बता कर अंतर्ध्यान हो जाते है. ऐसे एक और युद्ध का मतलब था दोनों मे से किसी एक की मृत्यु और बचने वाले दूसरे का लगभग शक्तिहीन हो जाना.

लेकिन तरुण देव का नारियों पर अत्याचार जारी रहता है. तब शक्ति उन्हें रोकती है और वो एक बार फिर शक्ति को चकमा देकर भागने की फिराक मे होते है की तभी उनका रास्ता.......स्वयं तरुण देव और शक्ति का प्रतिरूप रोक लेते है और अपने संयुक्त शक्तिवारो से तरुण देव के उस अनजान बहरुपिये  को कुछ ही देर मे बेबस कर देते है. वो बहरूपिया और कोई नही बल्कि शक्ति का पुराना दुश्मन 'भैरव' था. उसने तरुण देव का वेश धर कर नारियों पर अत्याचार किया ताकि शक्ति और तरुण देव मे युद्ध हो और दोनों आपस मे लड़ कर ख़त्म हो जाए या एक दूसरे को इतना कमज़ोर कर दें की ख़ुद भैरव शक्ति को मार सके. तब भैरव उनसे पूछता है की उन्होंने उसकी चाल को कैसे समझा.

तब शक्ति ने बताया की, "नारियों पर अत्याचार करने वाले और मुझसे लड़ने वाले 'तरुण देव' की उर्जा मे और जिसे मैंने ढूँढ कर पकड़ा था उस तरुण देव के उर्जा वार से निकली उर्जा मे अन्तर था.....जिस कारण मुझे संदेह हुआ....तब तरुण देव ने युद्ध के दौरान ही मुझे सुझाव दिया की वो निर्दोष है और इस बात को साबित करने के लिए मै अपनी एक प्रतिरूप हमेशा तरुण देव के साथ रखूं. ताकि ये बात साबित हो जाए की तरुण देव बनकर कोई और नारियों पर अत्याचार कर रहा है. इस बार तुमने मुझमे फिर से क्रोध भरने के लिए और तरुण देव को ढूँढ कर उनसे फिर से युद्ध को उकसाने के लिए उनका वेश धर कर महिलाओ पर ज़ुल्म किया पर आज तुम्हे रोकने और पकड़ने के लिए शक्ति के साथ - साथ उसकी प्रतिरूप और तरुण देव भी थे."

लेकिन अशक्त भैरव जान बचाने के लिए एक महिला को बंधक बना कर वहां से बच निकलता है. शक्ति और तरुण देव उनका पीछा करते है....थोडी दूरी पर भैरव उस महिला को छोड़कर फिर से साधारण मानव का हुलिया धर कर भीड़ मे मिल जाता है. शक्ति तरुण देव से क्षमा मांगती है और तरुण देव हमेशा शक्ति की मदद करने की बात कह कर विदा लेते है.

समाप्त

- मोहित शर्मा.

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