अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Sunday, September 22, 2013

Q & A with Courtney Dowdy (Actress-Model)

An interview with beautiful (& talented) actress Courtney Dowdy from Kentucky, United States. Enjoy! Like-subscribe-follow her profiles...

P.S. Interviewer - Yours Truly :)

Interview (Q & A) Video (Unable to attach the video on Blog) :



Courtney as Maddie (Movie : Fat Chance)

Questions sent to Courtney

"Question 1) - Who/What inspired you to become an actress & how old were you when you started acting, were you involved in musicals and plays in school?

Question 2) - Who are your Role Models or people you look up to in Acting, Modeling & Life (and Why)?

Question 3) - What is/are your favorite movie genre(s)?

Question 4) - Other Hobbies and Pastimes besides acting, modeling?

Question 5) - Tell us more about your upcoming projects?

Question 6) - Where do you see yourself 10 years from now?

Question 7) - What advice would you give to young kids who want to act?

Question 8) - Your best performance till date? (& your best youtube monologue video also)

Question 9) - Share some interesting items from your ‘Bucketlist’ & few random facts about yourself?



10) – This is a request; I liked all your monologue videos & want to see you reading my funny poem in a serious/tragic monologue mode.

Title – Just ‘Hear’ This!!
"There was a Deer,
Whose ear sensed a Bear,
Deer froze with fear,
Bear came near.

Negotiated Deer,
"Dear Bear, I have Beer, with which you can cheer."
Bear changed his mind's gear,
Bear drank beer.
and also tried to tear the deer,
Escaped Deer,
By reminding Bear,
That Bear forgot to wear his underwear."

Best Wishes!
Mohit Sharma"



Follow-Like-Subscribe her Official Profiles :

RATE COMMENT SUBSCRIBE ↓↓

www.youtube.com/courtneydowdy

Follow Courtney ↓↓

@DowdyCourtney
www.twitter.com/DowdyCourtney

Instagram
courtneydowdyofficial

Flickr!
www.flickr.com/courtneydowdy


- Mohit Sharma (Trendster / Trendy Baba)

Thursday, September 19, 2013

Miscellaneous Rants

*) - Jeevan mey kaam taalne nahi chahiye aur agar ichchha anaitik ya illegal nahi hai to mann ki baat ko bhi dabana nahi chahiye kyoki lagta hai ki dincharya routine set hai...waqt ki raftaar dheemi hone ki wajah se lagta hai ki "Sab yahin to hai...kabhi bhi kar lenge!", "Abhi to bahut samay hai." par pachhtava tab hota hai jab aesi sthiti mey aate hai jahan in baaton k liye samay nahi nikalta, insaan ki priorities badal jaati hai...phir lagta hai ki jo itna sara samay aur mahaul for granted lekar nikal diya...us samay aur parivesh ka kuch hissa bhi waapas mil jaaye...

Mujhe pata nahi aap logo ki music mey ruchi hai ki nahi par Nickelback ka ye gana aur video zaroor dekhen tassalli se badi gehri baaten hai isme...pehli baar Nickelback ko 5-6 saal pehle suna tha...mere favorite bands mey se ek hai yeh...

Note - Aaram se dekhen PC par Mobile etc par chalte-firte nahi.....he he 

http://www.youtube.com/watch?v=fyopRENTtq0 (Nickelback - Saving Me)

------------------------------------------------

*) - कवाल गाँव मे जो हुआ वो वहाँ के दोनों समुदायों के लिए शर्म की बात है ..मैंने वो विडियो भी देखा ..पर उसके बाद जो 10-11 दिनों से अफवाहों, स्थानीय नेताओ के सहारे जो हो रहा है मुज्जफरनगर में वो पूरे देश के लिए शर्म की बात है। सज़ा दोषियों के लिए होनी चाहिए उसके मोहल्ले, गाँव के लिए नहीं। कई लोगो का तो इस से कोई वास्ता भी नहीं पर वो भी अपनी निजी रंजिश, विवाद को इन दंगो की आड़ मे निपटा रहे है। खबर या अफवाह सुनकर मुट्ठी भींचने से पहले यह ज़रूर सोचें की आपके साथ बदला लेने एक भीड़ जा रही है और सामने भी एक भीड़ मिलेगी ....भीड़ का बल कई हाथियों का होता है पर दिमाग एक 5 साल के बच्चे जितना, जो काम करने के बाद मुड़कर अपनी और दूसरो की लाशों पर रोने वालो का नहीं सोचती। 

दुख की बात यह है की ये दंगे तो शांत हो जायेंगे पर आगे आने वाले कई चुनावो मे मुद्दे विकास, रोज़गार से जुड़े नहीं होंगे बल्कि ऐसे छद्म बंटवारों के होंगे जहाँ दोनों जगह ये कालिख सुलगती रहेगी ...और मौका मिलने पर दोनों तरफ से अपनी भड़ास छोटी-मोती हिंसा या ज्यादती के रूप मे निकलती रहेगी (यही आसान मुद्दे नेता चाहते है जिनमे उनका काम उन्मादी भीड़ ही निपटा देती है)। मरने वालो के परिवारों के साथ मेरी संवेदनाएं है आशा है अब मुख्यमंत्री को और मुआवज़ा ना बाँटना पड़े। 

लड़ना है तो अपने हक के लिये लड़ो, देश के लिये लड़ो .....देश से मत लड़ो।

----------------------------------------------------



*) - Maut se darte hai...Mahadev ko bhaang-dhature se sanwarte...
Jeevandata Brahma ji ko kritagya hokar niharte....
Jisne har yug paala..jiske avtaron ki gaathayen yugo tak bakhaarte...
Yahan Poojne ko peer Baba tak pooj diye jaate...
Phir kyu Maa jaise paalanhaar Shri Hari Vishnu ji ko hum beeti taahi bisartey??

Friends, Sanhaar k devta Bholenath Shiv ji ki bhavya pooja hoti hai, jeevandata Brahma ji ki bhi. Waise to jeevan dena, paalan aur sanhaar teeno hi mahatva rakhte hai par marne aur paida karne mey 1 second lagta hai....baaki 70-80 saal jo humara paalan poshan karte hai unka kya? Upar se har yug mey jab bhi vipda aayi to kabhi Mohini ban kar to kabhi Ram, Krishna ban kar bhakto ko bachane aaye Vishnu ji k mandir nahi dekhen kahin maine....kabhi sochiye is baare mey...Ram ji, Krishna ji jo itne logo k isht dev hai wo Vishnu ji k ansh bhar the...kabhi sochiyega...

- Mohit

Saturday, September 14, 2013

आडवाणी को सत्ता नहीं तो इज्ज़त तो दो...

आडवाणी को सत्ता नहीं तो इज्ज़त तो दो.....

अब जब श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवार के रूप मे चुन लिए गए है तो स्थिति स्पष्ट हो गयी है और प्रचार के लिए महत्वपूर्ण पार्टी के सभी कार्यकर्ताओ, नेताओ को एक नाम मिल गया है। काफी समय से श्री लाल कृष्ण आडवाणी और मोदी, ये नाम थे जिन पर पार्टी कुछ विभाजित दिखी। लोग सवाल करते है की आडवाणी जी को कैसे समर्थन कर सकते है लोग? पर बात यह है की 1942 मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ने के बाद से 86 वर्ष की उम्र तक उन्होंने 6 दशको से ज्यादा संघ एवम पार्टी के विकास के लिए बड़े योगदान दिए है। अटल जी के कार्यकाल मे उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पद संभाले और उप-प्रधानमंत्री भी रहे। यह उनकी पार्टी मे स्थिति ही है की अब बहुत से वरिष्ठ नेतागण इस घोषणा के बाद उन्हें मनाने उनके निवास पहुँच रहे है। 
2004 और 2009 के लोकसभा चुनावो मे वो प्रधानमंत्री का पद नहीं पा सके क्योकि भारतीय जनता पार्टी के बाकी कामो को नज़रंदाज़ कर उसपर सांप्रदायिक पार्टी का ठप्पा लगा कर और व्यावसायिक लालच मे बाकी दलों ने हर बार की तरह सत्ता दूसरी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को तोहफे मे दे दी। इस बार जनता मे गुस्सा ज्यादा है कांग्रेस के विरुद्ध और श्री नरेन्द्र मोदी जी ही उन्हें एक उचित विकल्प दिख रहे है जो गुजरात जैसा विकास मॉडल पूरे देश मे लागू करने का दम रखते है। 

तो कहने का तात्पर्य यह है की मोदी जी को चुना जाना सही है पर पार्टी को ध्यान रखना होगा की आडवाणी जी को भी सम्मान सहित मनाया जाये। धीरे-धीरे वो स्वयं स्थिति भांपकर अपने अनुसार कोई वरिष्ठ पद ग्रहण कर लेंगे। ऐसा सिर्फ यहाँ ही नहीं और भी जगह देखने को मिलता है मसलन खेलो मे आज के सुपरस्टार और 15-20 साल पहले के सुपरस्टार की शोहरत मे काफी अंतर होता है।

- मोहित शर्मा

Friday, September 6, 2013

मेरे लिए आस्था, तुम्हारे लिए डर.....

मेरठ में घर के पास एक शांत स्थान है जहाँ आस-पास शिव जी-दुर्गा माता का एक मंदिर, शनि देव का मंदिर, हनुमान जी का मंदिर और साईं बाबा की कुटी है। वहाँ सोमवार को शिव भक्तो का जमावड़ा रहता है, मंगल को बजरंग बलि महाराज के भक्तो का गुरूवार को साईं बाबा को मानने वालो की भीड़ रहती है और शनिवार को शनि देव और हनुमान जी के भक्तो की। 



तो एक शनिवार मेरा एक नास्तिक दोस्त मेरे साथ था और हमे थोडा समय लग गया सड़क पर भक्तो की भीड़ से निकलने मे। दोस्त ने कहा की सब नौटंकी है, ये लोग आस्था या श्रद्धा से नहीं आते बल्कि डर से आते है की शनि देव सब भला करें इनका या शिव भगवान, बजरंग बलि इनके किये पापो से छुटकारा दे दें इनको। उसने मुझसे पूछा इस सबमे कोई भी सकारात्मक बात है या सब पाखण्ड है। 

अब आजकल एक तो फेशन बन गया है भगवान की बेईज्ज़ती करना और खुद को नास्तिक बताना। उसको भगवान के बारे मे समझाना व्यर्थ था इसलिए मैंने इस भीड़-जमावड़े से जुडी सकारात्मक बात बताई उसको।

मैंने कहा यहाँ रास्ते मे दर्जनों गरीब परिवारों को ये भक्त लोग (चाहे भगवान के डर से या आस्था से) खाना, प्रसाद और पैसे देते है, जिस से इतने सारे गरीबों का जीवन चलता है सिर्फ यहाँ ही नहीं देश भर मे। उसने तुरंत कहा की ऐसा तो हफ्ते के 3-4 दिन ही रहता है बाकी के दिनों का क्या? अगर भक्ति करनी ही है तो उसके लिए कोई दिन या समय निश्चित करने से क्या फायदा? जब मन आये तब करो पूजा, भक्ति। इसपर गृह-नक्षत्रो की बात करता तो फिर वो प्रूफ मांगता इसलिए मैंने यहाँ भी उसी की जुबां मे बोलना ठीक समझा।

मैंने कहा तुम्हारी बात सही है बिना दिन-समय देखे भी भक्ति करने वाले बहुत से लोग है रही आम जनता की बात तो उनका यह डर या नियत समय पर किसी ख़ास देव की पूजा अर्चना करना भी इन गरीबों के हित मे है। कैसे? ये मानवीय सोच है उसका व्यवहार है ...जैसे अधिकतर बच्चे परीक्षा की तिथि आने पर ही पढना शुरू करते है, अगर कुछ नियत न हो तो दिमाग मनुष्य को दिलासा देता रहता है की अभी तो काफी समय है आराम करो। इसी तरह ज़्यादातर लोगो को अगर ये बताया जाए की रोज़ हर बड़े देव या अपने इष्ट देव-देवी की पूजा-आराधना करो तो दिनचर्या समझ कर वो इसको गंभीरता से नहीं लेंगे और जो हफ्ते मे 4 दिन ये गरीब सही से खा-पी लेते है वो भी अनियमित हो जाएगा, और सिर्फ बड़े त्योहारों तक सीमित होकर रह जाएगा। पर जब उनके इष्ट देव के लिए हफ्ते मे एक ख़ास दिन निश्चित होता है तो वो अपने देव को खुश करने के लिए वो सही से पूजा करने के अलावा दान पुण्य भी करते है जिस से इन गरीबो का और आस-पास पूजा से जुडी सामग्री बेचने वालो का भला करते है। कुछ स्थान ऐसे भी है जहाँ हफ्ते के सातो दिन मेला सा लगा रहता है और हर दिन किसी ख़ास भगवान् मे आस्था रखने वाली या तुम्हारी भाषा मे डरने वाली भीड़ इन गरीबो का, दुकानदारों का भला कर जाती है।

- मोहित शर्मा (ट्रेंडस्टर / ट्रेंडी बाबा)