अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Monday, January 26, 2015

क्यों बना राइटर्स डेन...



क्यों बना राइटर्स डेन....
नमस्ते!


दुनिया भर में कुछ खेलों की कई शहरी, प्रादेशिक और राष्ट्रीय लीग्स ऐसी है की जिनमे अगर आपने 5-7 मैच भी खेलें है तो उनमे आपके प्रदर्शन, अंको, एवरेज, वीडियोज़ के साथ-साथ दुनिया भर की अनेको वेबसाइट्स पर आपसे जुडी तमाम जानकारियां लगती है और अपडेट होती रहती है.....आपके चाचा-ताऊ के नाम से लेकर, आपकी हाल में ही हुयी घुटनों की सर्जरी तक सब। वो भी तब जब उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक भी मैच नहीं खेला हो। इसी तरह डेब्यू से काफी पहले ही, कुछ पब्लिक इवेंट्स, फोटोशूट्स के बाद ही एक्टर्स, एक्ट्रेसेस का A to Z हर जगह उपलब्ध होता है।

अब आते है लेखन पर, ज़ाहिर है परदे के पीछे काम करने की वजह से आपका नाम आपके किये काम के अनुपात में नहीं बढ़ेगा पर इसका मतलब यह नहीं कि कुछ घरेलु मैच खेले किसी टीनएजर का रुतबा आपकी 10-20 या 50 वर्षो की लगातार मेहनत से बड़ी दिखने लगे जैसे लेखक, चित्रकार, निर्देशक, प्रकाशक, वक्ता श्री हरविंदर मांकड़ जी ने हाल ही में अपनी 22000वी किताब प्रकाशित की, इतनी तो गिनती गाने में भी मुझे आधा दिन लग जाये। विकिपीडिया, मूवी डेटाबेस साइट्स है पर उनका फॉर्मेट ऐसा है की उनसे भी बस ऊपरी जानकारी मिलती है।
मैं अपना उदाहरण देता हूँ। कुछ प्रशंषको, दोस्तों के कुछ मैसेज, कमेंट्स ऐसे होते है -
"आप सिर्फ कॉमेडी क्यों लिखते है? बाकी थीम्स भी ट्राई कीजिये!"
"यार 2012 के बाद से देखा नहीं तुम्हारा कुछ काम।"
"एक मोहित शर्मा (ज़हन) नाम कर के पोएट है, वो भी सही लिखता है।"
"भाई यह 'Trendy Baba' पेन नाम क्या सोच कर रखा?"
"अरे आपने फलाना पब्लिकेशन कब छोड़ी, मैंने तो आपकी वजह से वो मैगज़ीन सब्सक्राइब करायी थी।"

आप सभी मेरे सीनियर्स है आप लोगो ने तो इन से भी अजीब सवाल सुने होंगे। "राइटर्स डेन" मयंक शर्मा जी द्वारा एक पहल है जिसका कोई व्यावसायिक उद्देश्य नहीं है बस कोशिश यह है की परदे के पीछे के शिल्पकारों के लिए एक जगह बने।

*) - जहाँ वो अपने विचार, बातें और अपडेट्स शेयर करें। अवसर आने पर दूसरे लेखकों, कवियों के साथ कोलेबोरेट कर सकें।
*) - जहाँ उनसे जुडी सभी ज़रूरी जानकारियाँ हों और समय-समय पर अपडेट हों।
*) - मासिक, साप्ताहिक video/audio इंटरव्यूज, पॉडकास्ट्स Q`& A sessions और वार्षिक इवेंट्स-सेमिनार्स आदि।
*) - आपके द्वारा बनाये गए एक्सक्लूसिव टूटोरियल्स, वीडियोज जिनमे आप अपना अनुभव बाँटे। आशा है आप सभी के सहयोग से यह पहल धीरे-धीरे एक बड़ा रूप लेकर सार्थक बनेगी। मयंक जी को इस selfless काम के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!

- Mohit Trendster / मोहित शर्मा (ज़हन)

Sunday, January 25, 2015

Thursday, January 22, 2015

Case Study MacD

A toon by me and Dheeraj 'Dkboss' Kumar

Ek case hua recently Pune ke MacDonalds mey jahan ek gareeb bachche ko ek mahila daya kar ke restaurant ke andar le aayi par restaurant ke karmchariyon ne us bachche ko baahar kar diya. Ye baat social media aur phir news mey aayi, halla hua...aur Macdonalds ne apni Pune branch anishchitkaal ke liye band kar di saath hi doshi karmchaariyon ko nikal diya. Hai to image bachane ke liye dikhawa bhar bas aur waise to videshi loot ke centers hai ye wo bhi average khaana parosne waale par kuch mitron se discussion mey kuch counter points aaye unpar aapki honest rai jaanna chahunga.

*) - Daya kar ke hum kabhi kabar gareebo ko khana ya paisa dete hai, par unhe ghar ke andar nahi laate....agar wahi kaam Macdonalds ki us branch ne karna chaha to kaise galat hua?
*) - Maan lijiye aap apni Girl Friend ya wife ya parivaar ke saath kisi special occasion par kisi restaurat aaye hai to aap kis jagah jaayenge.....jahan seats par aapke jaisa crowd hoga ya mixed crowd hoga jinme slums ke log bhi honge. 9 out of 10 times log normal crowd ko prefer karegi to apna business bachchane ke liye agar koi aesa bartaav kare aur unhe baahar rakhe to phir halla kyu? Jo baat middle class janta ko kehte sharm aa rahi hai wo is jagah ke employees ne kar di to kya hua?
*) - Restaurants ke baahar badi sankhya mein gareeb bachche, log baithte hai jinhe agar koi khilana chahe to andar se khareed kar baahar burger, ice cream etc de sakta hai jo log karte bhi hai.
*) - 10-15 hazaar kamane waale karmchariyon ki gardan pakadne se kya faayda? Wo khud koi ameer nahi hai....

Apna paksh bhi bata dun, mai aese sansthano ka virodh karta hun jo ek system bana kar dheere-dheere desi sampatti kheenchte hai aur paisa bachane ke liye brand ki aad mein aksar below par khadya saamagri paros dete hai (Udahran ke liye last year U.P. mein hue inspections mein Fungus lage burgers, expired maal mila kuch branches se). Par upar likhi baaton se ye bhi maanta hun ki humey aatm manthan ki zaroorat hai khaaskar desh ke middle class waale bade bracket ko...

Tuesday, January 20, 2015

FTC 2014 Exhibition Matches Results


Out of 24 only 10 authors and poets submitted 2 entries required for the FTC 2014 Exhibition Matches Event, automatically changing the match schedule and timings. Although, 3 writers won 2 matches each, statistically Mr. Amit Rawat is the clear winner of this event followed by Mr. Sankalp Shrivastava and Mr. Sanjay Singh. Congratulations! and A big thanks to all the participants! :) 

1. Amit Rawat: 2 Wins, [Points – 2, (Margin : 17), (Average – 61)]
2. Sankalp Shrivastava: 2 Wins, [Points - 2, (Margin : 22), (Average 52.5)]
3. Sanjay Singh 2 Wins, [Points - 2, (Margin : 9), (Average – 62)]

4. Avijit Misra: 1 Win & 1 Tie, [Points - 1.5, (Margin : 6) (53)]
5. Vibhuti Dabral: 1 Win & 1 Loss, [Points – 0, (Margin : 2) (59)]
6. Savita Agarwal: 1 Win & 1 Loss, [Points – 0 (Margin : Minus  4) (49)]
7. Siddharth Gupta: 1 Tie & 1 Loss[Points – Minus 0.50, (Margin : Minus 18) (36)]
8. Deven Pandey: 2 Losses, [Points  - Minus 2, (Margin : Minus  9) (62)]
9. Akash Soam: 2 Losses, [Points – Minus 2, (Margin: Minus 12) (56)]
10 . Devesh Bahuguna: 2 Losses, [Points – Minus 2, (Margin: Minus 13) (44)]

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1. Sanjay Singh, “Comic Con India 2014 Report” (68) defeated Deven Pandey “तुम बहुत बोलती हो !” (63)

2. Sanjay Singh, “राष्ट्रीय खेल हाकी और जन साधारण की अनभिज्ञता” (56) defeated Akash Soam, "My Love for Comics” (52)

3. Sankalp Shrivastava ,“Mai Azaad Hun!” (40) defeated Siddharth Gupta , “Sapna hai ya Sach Facebook”(22)

4. Amit Rawat, “भाव-शून्य” (60) defeated Devesh Bahuguna “एक खूबसूरत सी गज़ल लिखना चाहता हूँ” (48)

5. Sankalp Shrivastava, “Broken Promises” (65) defeated Deven Pandey “ऑटो वाली” (61)

6. Amit Rawat,  “प्रलय या सृजन” (62) defeated Savita Agarwal “दुनिया” (57)

7. Savita Agarwal, “चिड़िया”  (41) vs Devesh Bahuguna “बहुत बदल गया हूँ” (40)

8. Avijit Misra “Who was He?” (50) tied Siddharth Gupta “The Sandwich Letter” (50)

9. Avijit Misra, “Murder or Suicide” (56) defeated Vibhuti Dabral “A Date”(50)

10 . Vibhuti Dabral, “The Smiths’ Horror Show” (68) defeated Akash Soam “महंगाई वाली मंदी” (60)

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Judges - Rashi Saxena, Mayank Sharma

Monday, January 12, 2015

Short Film - भालू मानव Notes (मोहित ट्रेंडस्टर)

Notes, Idea - Bhaalu Manav Short Video

Pic - Bidholi, Dehradun

"8 साल की नौकरी में 41 एनकाउंटर्स कर चूका हूँ, अच्छा सा लगता है,  गुदगुदी सी होती है पेट में जब निशाना सही लगता है और खून का गुब्बारा सा बर्स्ट होता है मुजरिम से। 

हाँ... 2 बेचारे गलत मर गये जिनकी वजह से मानवाधिकार वाले दल्ले पीछे पड़े है। बाकी 39 दर हरामखोरो को मारने का हिसाब नहीं देखेंगे कमीने, जिनको मार कर मैंने कितनी जाने बचायी और वैसे भी गेहूं के साथ घुन तो पिसता ही है। 

मैं गलत काम करता नहीं कुछ, मजबूरी करवा देती है। 
जैसे पिछले महीने प्रमोशन लिस्ट आने वाली है ये हल्ला सा मचा। मैंने सोर्सेज से पता करवाया तो पता चला 150 सेलेक्ट होने थे  और लिस्ट में मेरा नंबर 152वा था। 145वे और 149वे नंबर पर 2 बुढऊ थे, महावीर स्वामी जैन जी का नाम लेकर टरका दिये दोनों मैंने, वैसे भी कुछ सालों के मेहमान थे, कल जाते मैंने आज विदा कर दिया इस मोह माया से। पर कमीना नहीं हूँ, ओन ड्यूटी मारा दोनों को। पेंशन अच्छी बंधेगी दोनों के परिवारों की। इस बहाने मेरा प्रमोशन भी हो गया उपरवाले कि कृपा से। 

गुस्सा कंट्रोल रहता है पर कभी-कभी बकर में गर्मी चढ़ जाती है, जैसे एक बार जानकार ने टिप दी की मेरी रिश्वत की आदत उजागर करने के लिए कोई युवा खोजी पत्रकार भेस बदल कर छुपे कैमेरे के साथ मेरा स्टिंग ऑपरेशन करेगा। वो दंपत्ति बनकर आये, साथ में अपनी जूनियर माल को भी लाया था पत्नी बनाकर। उन्होंने किसी ज़मीन की समस्या बताकर, एडवांस देने को कहा। मैंने उन्हें डांटा और दोबारा ऐसा करने पर गिरफ्तार करने की बात कही। दोनों हैरान थे, चेहरे देखने लायक....की फूलप्रूफ सक्सेस सोच कर आये थे पर यह क्या ट्विस्ट आ गया?

उनके जाने के थोड़ी देर बाद खबर आई की गोमती नदी पुल पर उनपर किसी बंदूकधारी भालू मानव ने हमला किया। दूर से लोगो ने उसके वीडियो भी बनाये। भालू मानव ने महिला पत्रकार के साथ अश्लील इशारे और हरकतें की, फिर पुरुष पत्रकार से पैसो वाला बैग छीन कर दोनों को गोमती में धक्का दे दिया। दोनों को तैरना नहीं आता था और नदी का बहाव भी तेज़ था। एक गोताखोर ने उन्हें बचाने के लिए नदी में छलांग लगायी तो भालूमानव ने उसकी टांग पर गोली मार दी वो खुद किसी तरह नदी से निकल पाया। बहुत बुरा हुआ!

वो भालू मानव मैं ही हूँ। हा हा हा हा...."

#Monologoish #mohitness

- मोहित ट्रेंडस्टर 

Thursday, January 8, 2015

शादी स्पेशल Standup Gig Punches, Situations - मोहित ट्रेंडस्टर

शादी स्पेशल 


1) - बैचलर्स और खासकर हॉस्टल में रहकर जो पढाई करते है उनका रूटीन, ढंग बाकी दुनिया से अलग होते है। क्योकि वो समय कड़की वाला होता है तो शादीयों, फंक्शन्स में ड्रेस में वैरायटी रहे तो लड़के एक दूसरे के पार्टी वियर पहन लेते है। तो किसी शादी में बिरजू का जामनी कोट, यादव जी पहने मिलेंगे तो किसी में ,सुब्रमणियम की चेक शर्ट थापा ने चढ़ा रखी होगी। हर फंक्शन के ग्रुप फोटो में कपडे वही मिलेंगे आपको पर चेहरे बदल जायेंगे। 

2) - कुछ दोस्त-भाई ख़ुशी (और दूसरी तरह की ख़ुशी) वाली ओवरडोज़ में ऐसी किलर मेनका-रम्भा बनते है की उनके डेढ़ मीटर के दायरे में आना खुद  को गंभीर रूप से चोटिल करने की दावत देना है। 

3) - एक लड़की - "यार मैं रूज़ (जिस से गालो पर लाली आती है) लगाना भूल गयी। "
उसकी सहेली - "अरे सेम मेरे साथ हुआ, फिर यहाँ स्टाल पर गोल गप्पे खाए ज़्यादा मिर्च है पानी में, चेहरा नैचुरली लाल हो गया। "

4) - रईस लोग लड़के को 20 लाख की कार, लाखो का सामान-जेवर ख़ुशी-ख़ुशी दे देते है पर शादी के पंडित जी से 500 रुपये कम कैसे करवायें इसपर आपस में गहन टीम मीटिंग होती है। 

5) - अपनी दारु पार्टी चाहे घंटो चले पर फेरो में कहेंगे - "यार पंडित जी जल्दी निपटाओ।"

6) - बच्चे के मुंह से बैड वर्ड्स नहीं निकलने चाहिए, बैड हैबिट्स नहीं होनी चाहिए चाहे उसको लेकर DJ पर "चार बोतल वोडका, काम मेरा रोज़ का।", "मैं अल्कोहॉलिक हूँ!" जैसे गानो पर घंटो नाचें। 

7) - किफायती लोग बच्चो और टीन एजर्स को सस्ते में निपटाने के लिए जान बूझ कर चाउमीन, फ़ास्ट फ़ूड की स्टाल्स पहले रखते है, की मैन कोर्स शुरू होने से पहले ही बच्चे हार मान कर कॉफी या आइस क्रीम की तरफ रुख कर लें। 

8) - कुछ लाइम लाइट लपेटु Sir और मैडम लोग होते है, जो ज़बरदस्ती कैमरा घेरे रहते है। कन्या दान में लड़की के पिता जी का चाहे सिर्फ हाथ दिखे पर ज़बरदस्ती लड़की के बगल में बैठ कर इन्हे अपना थोबड़ा ज़रूर दिखाना होता है। वैसे चाहे 5 सालो में दूसरी बार मिल रहें हों लड़की से पर रोयेंगे लड़की के बहन-भाई से भी ज़्यादा। मतलब अगर शादी में से ऐसे 2-4 लोगो की रील हटा दें तो शादी का वीडियो आधा रह जाये। 

9) - जिन अंकल लोगो को मीठा मना है वो बड़ा फायदा उठाते है ऐसे मौको का। आंटी से कहेंगे की कोई रस्म है तुम्हे अंदर बुलाया है और फिर बड़ी शिद्दत से जलेबी की पत्तल पर आधा कुंटल रस मलाई गिरवातें है स्टाल पर। 

10) - कुछ बाराती जैसे हिसाब लेकर आते है की अरे चचिया ससुर को 2 जोड़े मिले पर मामा को बस एक? शादी के सोइयों काम में सब बिजी है पर कुछ रिलेटिव फालतू में या कहें शौक में नाराज़ घुमते रहेंगे की उसके फलाना का इतना सम्मान हो गया पर मेरे ढीमके का कम। अरे काका जो सामने पड़ा वो कर दिया, अब सबका हिसाब थोड़े ही रखेंगे की इसके पैर 16 बार छुए और उनको बस 5 बार नमस्ते किया। 

11) - बैंड वालो में भी सरकारी दफ्तर की तरह सीनियरिटी चलती है, दूल्हे-नाचते बरातियों के सर पर घुमाए गये 50-100 या और ऊपर के नोट पर एक्का-दुक्का बैंड मास्टर का हक़ होता है, बाकी लाइट वाले-भोम्पू वाले 10-20 के नोट घुमाने वाले रिश्तेदारों से संतोष करते है। और 100, 500 के नोट तो ज़्यादा नहीं फिराते पर मजाल है जो 10 का नोट लिए कुछ बाराती 10 मिनट से पहले नोट बैंड वालो को दे दें। 

- मोहित ट्रेंडस्टर

*Notes and pointers for a show.

Wednesday, January 7, 2015

हराम की पिल्ली (हॉरर-कॉमेडी) NSFW - मोहित शर्मा (ज़हन)

Pic - Saharanpur, U.P.

September 2014, idea for a short video

हराम की पिल्ली (हॉरर-कॉमेडी)

[NSFW, Abusive Language]
मोहित शर्मा (ज़हन)
कब्रिस्तान का जवान रखवाला एक खुदी हुई कब्र के बाहर खड़ा था तब एक जॉंम्बी जैसा दिखने वाला व्यक्ति आकर उस से बात करने लगता है।
हैल्लो! मेरा नाम मार्क बाली है। कैसे है तुम बेटा? आज ठंडे दिल का दर्द शेयर करना चाहता हूँ तुमसे। यह मेरी ही कब्र है, डरो मत, मुझे बस बात सुनाने के लिये कोई चाहिए।
तुम्हे नुक्सान पहुँचाकर मुझे बाकी कब्र वालो से पिटना थोड़े ही है आखिर यहाँ की देखभाल तुम्ही तो करते हो। रिलैक्स! ये फ्रूटी पियो अभी घर के फ्रिज से लाया हूँ। बैठो!

मैं गोवा का रहने वाला था। अभी कल ही मेरी डेथ हुई दिमागी बुखार से। अजीब नाम रखा है बीमारी का इंडिया वालो ने, अरे इतने गरम दिमाग के लोग दुनिया में है जो गुस्से में खून जलाते फिरते है उसको कहना चाहिए दिमागी बुखार, मरने के बाद तो वैसे सभी कूल पड़ जाते है पर मैं तो जीते जी भी कूल रहता था पर कोई बात नहीं बॉस जब काम में इतना गोरखधंधा चलता है तो नाम में भी सही।
बीमारी पता चलने के बाद मैंने सबसे पहले मैंने अपना जमा रुपया, इंश्योरेंस बाकी प्रॉपर्टी के कागज़ चेक करवाये। मैं नहीं चाहता था मेरी मौत के बाद मेरी पत्नी जेनिफ़र दुखी और अभाव में जीये। पर ज़रूरी कागज़ों पर साईन करने से कुछ पहले मेरी हालत बिगड़ गयी किसी तरह जैसे-तैसे डोलते दिमाग से सिगनेचर किये।
फिर जब उठा तो आत्मा था, मुझे लगा जवान मरा था इसलिए गॉड ने भटकती आत्मा बना दिया। सब कुछ जल्दी हो गया यह मैं सोच ही रहा था की तभी अपनी एक गलती याद आई की जल्दबाज़ी में मैंने अपने रेगुलर साइन मार दिए जबकि बैंक, प्रॉपर्टी और पैसो के मामलो मैं अलग साइन करता था। अभी मौत को कुछ घंटे हुए थे तो डाक्यूमेंट्स घर पर ही होंगे। तभी मैं सोचूँ गॉड ने मुझे अतृप्त आत्मा क्यों बना दिया, मैंने गॉड को थैंक्स कहा और अपने घर आया। देखने का मन भी था की जेनिफ़र बेचारी किस हाल में होगी मेरे जाने के बाद।
बंगले गया तो देखा हराम की पिल्ली ने 'इन-हाउस पार्टी' (in-house party) रख रखी थी अपने ख़ास दोस्तों और पुराने लवर के लिए। मतलब हद्द होती है, पति की बॉडी से रेटिना भी डीकम्पोज़ नहीं हुए और ये कुत्ती रंगरलियाँ मनाने लगी। पति बेचारा कब्र तोड़ के आ रहा है मदद करने और यहाँ अय्याशी चल रही है।
मन किया बुलडोज़र लेके कूच दूँ सबको। फिर अंदर आया एक-दो ड्रिंक्स ली, कुछ तरावट सी आई। फिर पार्टी के बीच में एंट्री मारी। मुझे देख सब स्टेचू हो गए।
"रिलैक्स! हराम की पिल्ली और बाकी सुवर की नाजायज़ औलादों! फाइल्स पर सिग्नेचर गलत हो गए थे वो सही करने आया था। यहाँ का नज़ारा देखा तो सोचा मैं भी पार्टी पीपल में शामिल हो जाऊँ।"

कुल आठ लोग थे - 2 बुढ़ऊ सदमे से मर गए, पाँच को एक झटके में निपटाया और फिर जीने के नीचे बनी लैट्रीन में छुपी जेनिफ़र को बाल पकड़ के बाहर निकाला।
"अरी पगली, मैं भूत हूँ.... चुतिया नहीं हूँ। मुझ से छुप रही है। अच्छा हुआ अभी आया, लेट नाईट आता तो परिवार नियोजन करती हुयी मिलती पुराने यार के साथ।"
मैंने जूता उठाया और उसे मारता रहा जब तक उसका चेहरा गायब होकर पहचाने लायक नहीं बचा। जाते-जाते पुराने कागज़ जला दिये और सही वाले साईन कुतिया के मुहँ पर गोद दिये।
अच्छा सुनो यह कहानी फ्री में नहीं सुनाई। मेरी कब्र रिपेयर करवा देना यार, ये... उम्म... कोट की जेबों में ढाई लाख ही ठूँस पाया जो बचे वो दान कर देना.. .... नहीं तो....अरे मज़ाक कर रहा हूँ, ऐश करना बस बीवी ढंग की देख समझ के चुनना।
चलो बाय!
समाप्त!