अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Friday, September 4, 2015

मुदित चोर नहीं है! - लेखक मोहित शर्मा (ज़हन)


"गलती आपकी है जो 150 की जगह 1500 का रिचार्ज कर दिया।" मन ही मन खुश होते मुदित ने दुकानदार से कहा। 

दुकानदार - "कभी-कबार जीरो की गलती हो जाती है, आँखें कमज़ोर हो गयी है। अभी सब देने को नहीं कह रहा बाद में जब इस्तेमाल कर लो तब दे देना, या धीरे-धीरे लौटा देना। अब बुढ़ापे में ऐसा तो...."

मुदित - "बूढ़े हो गए है तो घर पर बैठिये। मैंने डेढ़ सौ बोला था उतने ही दूंगा, बाकी आपने क्या देखा, किया उस से मुझे मतलब नहीं। इतनी चलती है आपकी शॉप, अभी दो-चार घंटो में सब वसूल हो जायेगा।" इतना कहकर वृद्ध दुकानदार की बातें अनसुनी करता हुआ मुदित वहाँ से निकल गया। उसने यह भी सोचा कि अब से वह इस जगह टॉपअप-रिचार्ज करवाने नहीं आएगा। 
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कुछ दिन बाद व्यथित मुदित फ़ोन पर एक डिश कंपनी के कॉलसेंटर कर्मी पर अपना गुस्सा निकाल रहा था। 

मुदित - "अरे ऐसे कैसे काट लिए 75 रुपये मेरे टीवी पैक से?"

कालसेंटर कर्मी - "सर एक महीने के लिए हमारा स्पेशल "महालोलू पैक" फ्री था तब आपने उसका सब्सक्रिप्शन लिया था। समय पूरा होने के बाद भी आपने पैक हटवाया नहीं इसलिए ऑटोमैटिक डिडक्ट हो गए पैसे।"

मुदित - "अच्छा मुझे मत पढ़ा बे! बस लोगो को लूटने के लिए ऑफर्स बना रखें है। हुँह! चोर है सब @#$&% "

समाप्त! 

- मोहित शर्मा (ज़हन)
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