अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Monday, December 30, 2019

कूक की ज़रूरत (शिक्षाप्रद कहानी)


नीलिमा पीलीभीत में एक निजी स्कूल की शिक्षिका थी। खाली समय में वह अपने परिवार और सहकर्मियों के साथ "कूक" नाम की एक एनजीओ भी चलाती थी। इस स्वयंसेवी संस्था का मुख्य उद्देश्य उत्तर भारत में आने वाले प्रवासी पक्षियों और उनके अस्थायी ठिकानों का संरक्षण करना था। अब तक नीलिमा की जागरूकता सभाएं और सामग्री कई स्कूलों और दूर-दराज़ के इलाकों में पहुंचकर लोगों को नई जानकारी रहीं थी। नीलिमा अपने अभियान को बड़े स्तर पर करना चाहती थी। इसकी शुरुआत वह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी एक बड़ी जागरूकता रैली निकलना चाहती थी, जिसके बाद वह कुछ सभाएं करती। उसने कुछ स्कूलों से संपर्क किया और धीरे-धीरे अच्छा समर्थन जुटाकर रैली करने के लिए छुट्टी का दिन चुना। अब बारी थी लखनऊ पुलिस कमिश्नर से रैली और सभाओं की अनुमति लेने की। 

पहले तो इस आवेदन के साथ इस उस वरिष्ठ अधिकारी से मिलने में ही दो दिन लग गए। जब बारी आई तो उनका बर्ताव कुछ रूखा लगा...औपचारिकता बीतने के बाद नीलिमा से रहा नहीं गया। 

"क्या हुआ, सर? क्या आवेदन में कोई कमी है?"

नीलिमा ने जैसे गुब्बारे को सुई लगा दी थी।

"कमी? कमी की बात बाद में...इस आवेदन की ज़रुरत ही क्या है?"

नीलिमा बड़े अधिकारी की डांट से कुछ असहज हुई पर उसने खुद को संभाला - "मैं समझी नहीं, सर?"

पुलिस कमिश्नर उसी ढंग में बोले - "इस शहर के हिसाब से आपकी रैली और सभाएं बड़ी नहीं है पर कुछ रास्ते खाली करवाने पड़ेंगे, कई सिपाहीयों के अहम घंटे बच्चों की लाइन लगवाने और उनके चारो तरफ घुमते बीतेंगे। क्यों? क्योंकि आपकी फैंसी, लीक से हटकर संस्था को पब्लिसिटी चाहिए।"

खुद पर बिना बात उठे सवालों से नीलिमा भी अपने स्वर में कुछ सख्ती लाई - "माफ़ी चाहती हूँ, सर, लेकिन मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं है। 

पुलिस कमिश्नर - "छुट्टी के दिन, यहां 36 तरीके के विरोध प्रदर्शन, धरना वगैरह चलते हैं! लूट, बलात्कार, हत्या, रंजिश, राजनीती जैसे ज़रूरी मुद्दों के बीच आपको चिड़ियों की पड़ी है? यहां लोग मर रहे हैं और आपको बैंगनी सारस, सतरंगी बुलबुल बचानी है? शर्म आनी चाहिए आपको!"

नीलिमा ने गुस्से में अपना आवेदन वापस खींच लिया - "आपसे मेरा 5 मिनट का अपॉइंटमेंट था। आपसे विनती है कि अंत के तीन मिनट मेरी बात सुन लीजिए...जागरूकता के लिए मैं रैली के बजाय कोई और माध्यम चुन लूंगी। उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 24 करोड़ है और लक्षद्वीप की 95 हज़ार। तो क्या केवल आंकड़ों के आधार पर लक्षद्वीप में जो सरकारी अधिकारी और संसाधन लगे हैं उन्हें हटा लें और ज़्यादा ज़रूरी उत्तर प्रदेश में लगा दें? क्या लक्षद्वीप की दशमलव में ही सही पर कोई कीमत नहीं? अपराध, शिक्षा, महिला और बाल विकास, गरीबी आदि पर भारत में लाखों स्वयंसेवी संगठन काम कर रहे हैं। आप चाहते हैं उस भीड़ का हिस्सा बनके '36 तरीके के विरोध प्रदर्शन, धरनों' में शामिल हो जाऊं? क्या मेरे जुड़ने से उनमें चार चाँद लग जाएंगे? 
आपके तर्क के हिसाब से तो जब आप छोटे बच्चे थे तभी देश की हालत की गंभीरता को देखते हुए...आपको साहित्य, गणित, काव्य की जगह लूट, बलात्कार और हत्या जैसे अपराधों की जघन्यता के बारे में बताया जाना शुरू कर देना चाहिए था? नहीं सर! ऐसे नहीं चलती दुनिया। कहीं हवा का ज़रा सा दबाव कम होता है और उसके असर से हुए चैन रिएक्शन से दूर कहीं प्राकृतिक आपदा आ जाती हैं...इसलिए बैंगनी सारस, सतरंगी बुलबुल भी इंसानों जितने ही अहम हैं। बस सामने दिखाई नहीं देता तो लगता है इनका कोई मतलब ही नहीं। यह बात आपको समझानी पड़ रही है तो सोचिए...आम इंसान और आने वाली पीढ़ी को इसे समझाना कितना ज़रूरी है।"

कुछ मिनट बाद नीलिमा, पुलिस कमिश्नर की शाबाशी और रैली-सभाओं के लिए स्वीकृति पत्र लेकर बाहर निकली।

समाप्त!
==============
#ज़हन

Read social, life Story - Bhoot Badha vs. Exorcism

Saturday, November 23, 2019

LB Annual Day Cricket Series


Fun times with Lionbridge colleagues! Great commitment by everyone. 
2 friendly cricket matches - Lionbridge Annual Day 2019
Black Panthers vs. White Tigers (my team)
First Match (12 Overs), Second Match (6 Overs)
Match 1 - BP (139/1) beat WT - (138/7) by 9 wickets.
Match 2 - WT (49/2) beat BP (47/4) by 8 wickets
Result 1-1
Lost first match and won the second. Performed well with the bat. Scored highest runs (33*) in second 6-over match.

Friday, November 22, 2019

अनुवाद कार्य

एक ऑडियो ऐप्लिकेशन और साइट के लिए कुछ अनुवाद का काम किया। एक चीनी उपन्यास के शुरुआती अध्यायों का हिंदी अनुवाद। अच्छा अनुभव रहा! श्रोताओं की प्रतिक्रिया के आधार पर इस कहानी या दूसरे उपन्यासों की कहानी का आगे का अनुवाद किया जाएगा।

Sunday, November 3, 2019

साहित्य विचार - साहित्य प्रतियोगिता



साहित्य विचार संस्था की ओर से आयोजित पहली अखिल भारतीय साहित्य प्रतियोगिता में चौथा स्थान मिला। संस्था के सदस्यों और निर्णायक मंडल का आभार!

Thursday, October 10, 2019

Third Issue - Junction Planet


एक और अच्छा प्रयास! अप्रकाशित पगली सीरीज के विज्ञापन और मेरी कुछ पंक्तियाँ (Page - 73, 74) जंक्शन प्लैनेट मैगज़ीन (कॉमिक्स जंक्शन) के इस अंक में शामिल की गई हैं। आभार!

Sunday, August 11, 2019

झूठी शान (बच्चों को नैतिक संदेश देती कहानी)

 बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानी - झूठी शान
पीडीएफ के अलावा ड्राफ्ट मिल नहीं रहा। वहाँ से कहानी यहाँ लाने पर corrupt characters/font दिख रहे हैं. इस वजह से स्क्रीनशॉट साझा कर रहा हूँ। कहानी गौरी अर्द्धवार्षिक पत्रिका में प्रकाशित।

#ज़हन

Tuesday, July 16, 2019

Latest issue of Junction Planet Magazine


2 contributions - An article on author Anurag Kumar Singh and a joint fan artwork with artist Yash Thakur, colorist Ajay Thapa published in Junction Planet e-zine by Comics Junction group (July 2019 issue).

Saturday, July 13, 2019

अभिमान से अपमान (बाल कथा) - अनुभव पत्रिका जुलाई 2019 में प्रकाशित


सलोना भालू फुलवारी वन का एक प्रतिभावान खिलाड़ी था। किशोरावस्था में ही वह अपनी उम्र से बड़े और अनुभवी खिलाडियों को नाकों चने चबवा देता था। जल्द ही उसका नाम फुलवारी वन और उसके आस-पास के इलाकों में भी फ़ैल गया। केवल एक खेल नहीं बल्कि भाला फेंक, शॉट पुट, 400/800 मीटर दौड़ और तेज़ चाल में वह कमाल का प्रदर्शन करता था। स्थानीय व अंतर-जंगलीय प्रतियोगिताओं में सलोना शीर्ष पदक जीतने लगा। आगामी प्रतियोगिता जंगलों के सबसे बड़ी, सम्मान वाली प्रतियोगिता थी। इसका नाम था जंगल ओलम्पिक। सलोना भालू का यह पहला ओलम्पिक था। वह कई महीनों पहले से गंभीर तैयारी में जुट गया। खेलों का आयोजन पुष्पपुर जंगल कर रहा था। लंबी यात्रा कर वहाँ पहुँचे सलोना को पुष्पपुर की दृष्टि की सीमा से विस्तृत फूलों की वादियों ने मोहित कर लिया। कम समय में सलोना बहुत से वन क्षेत्रों की यात्रा कर चुका था और अलग-अलग प्रजातियों के जानवरों से मिल चुका था। हर तरफ अपने कौशल की तारीफ़ सुनकर सलोना में दंभ भर गया था। 

एकसाथ 4 खेलों में अपने जंगल का प्रतिनिधित्व करने वाला सलोना अकेला एथलीट था। अपनी जीत को लेकर वह इतना आश्वस्त था कि उसने अभ्यास छोड़ पुष्पपुर जंगल में विचरण और प्रतिष्ठित जानवरों के साथ उठना-बैठना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं अपने अभिमान में वह अभ्यास कर रहे जानवरों का मज़ाक भी उड़ाता था। जब फुलवारी जंगल के अन्य खिलाडियों और प्रशिक्षक ने सलोना को समझाने की कोशिश की तो उसने उल्टा उन्हें अपना प्रदर्शन उसके बराबर लाने की चुनौती दे दी। इतने पदक जीत चुके सलोना को अधिक टोकने की हिम्मत किसी में भी नहीं थी। अगले सप्ताह खेल शुरू हुए और एक के बाद एक प्रतिस्पर्धा में सलोना भालू को हार मिलने लगी। शुरुआत में 800 मीटर दौड़ में कांस्य भी न मिला, उसके बाद शॉट पुट, भाला फेंक में भी सलोना प्रथम 5 स्थान में जगह नहीं बना पाया। पहले पहल भाग्य को दोष दे रहा सलोना अब अपनी 4 में से 3 प्रतिस्पर्धाओं में बिना पदक रह गया था। अंत में 20 किलोमीटर तेज़ चाल  प्रतिस्पर्धा में उतरते हुए सलोना में पहले का दंभ हार के डर में बदल गया था। परिणाम सबकी आशा अनुरूप ही था। सीमित तैयारी, बिगड़ी लय और खोये आत्मविश्वास के साथ सलोना ये प्रतिस्पर्धा भी हार गया। उस रात गुस्से में खिलाडियों, निर्णायकों और सहायक स्टाफ के लिए बने खेल गाँव में सलोना भालू ने खूब तोड़-फोड़ मचायी। उपद्रव मचाते हुए उसके वीडियो समाचारों की सुर्खियां बन गये। फुलवारी वन ने इस बार पदक तालिका में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन जंगल की इस उपलब्धि को सलोना के हुड़दंग से हुई बदनामी ने फीका कर दिया। सलोना को अपनी भूल पर पछतावा देर से हुआ। फुलवारी जंगल खेल संघ ने सलोना के ऊपर स्थानीय या अंतर-जंगलीय किसी भी खेल खेलने पर 5 वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया। 


प्रतिबंध की अवधि पूरी करने के बाद सलोना भालू ने ज़बरदस्त वापसी की और अपने जंगल के लिए कई पदक अर्जित किये। हालांकि, सलोना को अक्सर एक मलाल रहता है। अपनी भूल के कारण उसने एक खिलाडी के रूप में अपने उत्कृष्ट वर्ष (जिनमें वह शारीरिक, मानसिक रूप से अपने चरम पर था) गँवा दिये, साथ ही इतने बड़े मंच पर अपने जंगल का नाम ख़राब किया।

समाप्त!

सीख - छोटी उपलब्धियों से दंभ में आकर जीवन के बड़े लक्ष्यों से भटकना नहीं चाहिए और अपने क्षेत्र के अनुभवी लोगों की सलाह को कभी अनसुना नहीं करना चाहिए। 

Cover page

Thursday, June 27, 2019

Author of the Week Award - Story Mirror


"Author of the Week" out of 23 talented authors selected by SM Website team. Automatically nominated for Author of the Year Award.

...हम जीत गए! इसके साथ ही मैं StoryMirror 'Author of the Year' अपने आप नामांकित हो गया हूँ। आप सबके प्यार के लिए बहुत धन्यवाद! 

Monday, April 22, 2019

कौवों का हमला Rap #ज़हन

Wrote a promo rap for Ajay Kumar's book

कांव कांव - धाँय धाँय,
इंसानों की हाय हाय!

सुन ले पक्की वार्निंग 
नहीं है ये कोई जुमला 
तेरी ऐसी तैसी करने प्रेज़ेंटिंग...
कौवों का हमला!
आजा तेरी एसयूवी का घमंड तोड़ दूँ,
बोनट पर अपनी बीट निचोड़ दूँ
कांव कांव - धाँय धाँय,
इंसानों की हाय हाय!

अपुन की तेज़ नज़र, 
रखे हर बात की खबर,
साइज अपना छोटा...
पर दिल से गब्बर!
कैच मी इफ यू कैन,
उड़ा मैं फर्र-फर्र... 
कांव कांव - धाँय धाँय,
इंसानों की हाय हाय!

कहे काग को चालू,
ये साला होमो सेपियन मक्खीचूस,
खुद गधे की शक्ल वाला,
मुझे कहे मनहूस!
कांव कांव - धाँय धाँय,
इंसानों की हाय हाय!

चिल करते ब्रोज़ को हुर्र हुररर कहके उड़ाये,
पितृ पक्ष में पूड़ी लेकर पीछे भागा आये। 
क्रो गैंग से पंगा मत ले...
अपनी चोंच से जाने कितने टकले सुजाये। 
कांव कांव - धाँय धाँय,
इंसानों की हाय हाय!

तोड़ेगा तेरी ईगो का गमला,
फ्रेश रापचिक कौवों का हमला। 
तो सारे बोलो... 
कांव कांव - धाँय धाँय,
इंसानों की हाय हाय!

===========
- मोहित शर्मा ज़हन

Friday, January 18, 2019

Hindi Tongue Twister


Short - "चुकंदर खाकर सुंदर छछूंदर के अंदर हुआ भगन्दर।"

Long - चुकंदर खाकर सिकंदर नामक सुंदर से छछूंदर के पेट के अंदर मचे बवंडर से उसे हुआ भगन्‍दर। 

#ज़हन