अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Tuesday, July 16, 2019

Latest issue of Junction Planet Magazine


2 contributions - An article on author Anurag Kumar Singh and a joint fan artwork with artist Yash Thakur, colorist Ajay Thapa published in Junction Planet e-zine by Comics Junction group (July 2019 issue).

Saturday, July 13, 2019

अभिमान से अपमान (बाल कथा) - अनुभव पत्रिका जुलाई 2019 में प्रकाशित


सलोना भालू फुलवारी वन का एक प्रतिभावान खिलाड़ी था। किशोरावस्था में ही वह अपनी उम्र से बड़े और अनुभवी खिलाडियों को नाकों चने चबवा देता था। जल्द ही उसका नाम फुलवारी वन और उसके आस-पास के इलाकों में भी फ़ैल गया। केवल एक खेल नहीं बल्कि भाला फेंक, शॉट पुट, 400/800 मीटर दौड़ और तेज़ चाल में वह कमाल का प्रदर्शन करता था। स्थानीय व अंतर-जंगलीय प्रतियोगिताओं में सलोना शीर्ष पदक जीतने लगा। आगामी प्रतियोगिता जंगलों के सबसे बड़ी, सम्मान वाली प्रतियोगिता थी। इसका नाम था जंगल ओलम्पिक। सलोना भालू का यह पहला ओलम्पिक था। वह कई महीनों पहले से गंभीर तैयारी में जुट गया। खेलों का आयोजन पुष्पपुर जंगल कर रहा था। लंबी यात्रा कर वहाँ पहुँचे सलोना को पुष्पपुर की दृष्टि की सीमा से विस्तृत फूलों की वादियों ने मोहित कर लिया। कम समय में सलोना बहुत से वन क्षेत्रों की यात्रा कर चुका था और अलग-अलग प्रजातियों के जानवरों से मिल चुका था। हर तरफ अपने कौशल की तारीफ़ सुनकर सलोना में दंभ भर गया था। 

एकसाथ 4 खेलों में अपने जंगल का प्रतिनिधित्व करने वाला सलोना अकेला एथलीट था। अपनी जीत को लेकर वह इतना आश्वस्त था कि उसने अभ्यास छोड़ पुष्पपुर जंगल में विचरण और प्रतिष्ठित जानवरों के साथ उठना-बैठना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं अपने अभिमान में वह अभ्यास कर रहे जानवरों का मज़ाक भी उड़ाता था। जब फुलवारी जंगल के अन्य खिलाडियों और प्रशिक्षक ने सलोना को समझाने की कोशिश की तो उसने उल्टा उन्हें अपना प्रदर्शन उसके बराबर लाने की चुनौती दे दी। इतने पदक जीत चुके सलोना को अधिक टोकने की हिम्मत किसी में भी नहीं थी। अगले सप्ताह खेल शुरू हुए और एक के बाद एक प्रतिस्पर्धा में सलोना भालू को हार मिलने लगी। शुरुआत में 800 मीटर दौड़ में कांस्य भी न मिला, उसके बाद शॉट पुट, भाला फेंक में भी सलोना प्रथम 5 स्थान में जगह नहीं बना पाया। पहले पहल भाग्य को दोष दे रहा सलोना अब अपनी 4 में से 3 प्रतिस्पर्धाओं में बिना पदक रह गया था। अंत में 20 किलोमीटर तेज़ चाल  प्रतिस्पर्धा में उतरते हुए सलोना में पहले का दंभ हार के डर में बदल गया था। परिणाम सबकी आशा अनुरूप ही था। सीमित तैयारी, बिगड़ी लय और खोये आत्मविश्वास के साथ सलोना ये प्रतिस्पर्धा भी हार गया। उस रात गुस्से में खिलाडियों, निर्णायकों और सहायक स्टाफ के लिए बने खेल गाँव में सलोना भालू ने खूब तोड़-फोड़ मचायी। उपद्रव मचाते हुए उसके वीडियो समाचारों की सुर्खियां बन गये। फुलवारी वन ने इस बार पदक तालिका में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन जंगल की इस उपलब्धि को सलोना के हुड़दंग से हुई बदनामी ने फीका कर दिया। सलोना को अपनी भूल पर पछतावा देर से हुआ। फुलवारी जंगल खेल संघ ने सलोना के ऊपर स्थानीय या अंतर-जंगलीय किसी भी खेल खेलने पर 5 वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया। 


प्रतिबंध की अवधि पूरी करने के बाद सलोना भालू ने ज़बरदस्त वापसी की और अपने जंगल के लिए कई पदक अर्जित किये। हालांकि, सलोना को अक्सर एक मलाल रहता है। अपनी भूल के कारण उसने एक खिलाडी के रूप में अपने उत्कृष्ट वर्ष (जिनमें वह शारीरिक, मानसिक रूप से अपने चरम पर था) गँवा दिये, साथ ही इतने बड़े मंच पर अपने जंगल का नाम ख़राब किया।

समाप्त!

सीख - छोटी उपलब्धियों से दंभ में आकर जीवन के बड़े लक्ष्यों से भटकना नहीं चाहिए और अपने क्षेत्र के अनुभवी लोगों की सलाह को कभी अनसुना नहीं करना चाहिए। 

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