Pic - Saharanpur, U.P.
September 2014, idea for a short video
हराम की पिल्ली (हॉरर-कॉमेडी)
[NSFW, Abusive Language]
मोहित शर्मा (ज़हन)
कब्रिस्तान का जवान रखवाला एक खुदी हुई कब्र के बाहर खड़ा था तब एक जॉंम्बी जैसा दिखने वाला व्यक्ति आकर उस से बात करने लगता है।
हैल्लो! मेरा नाम मार्क बाली है। कैसे है तुम बेटा? आज ठंडे दिल का दर्द शेयर करना चाहता हूँ तुमसे। यह मेरी ही कब्र है, डरो मत, मुझे बस बात सुनाने के लिये कोई चाहिए।
तुम्हे नुक्सान पहुँचाकर मुझे बाकी कब्र वालो से पिटना थोड़े ही है आखिर यहाँ की देखभाल तुम्ही तो करते हो। रिलैक्स! ये फ्रूटी पियो अभी घर के फ्रिज से लाया हूँ। बैठो!
मैं गोवा का रहने वाला था। अभी कल ही मेरी डेथ हुई दिमागी बुखार से। अजीब नाम रखा है बीमारी का इंडिया वालो ने, अरे इतने गरम दिमाग के लोग दुनिया में है जो गुस्से में खून जलाते फिरते है उसको कहना चाहिए दिमागी बुखार, मरने के बाद तो वैसे सभी कूल पड़ जाते है पर मैं तो जीते जी भी कूल रहता था पर कोई बात नहीं बॉस जब काम में इतना गोरखधंधा चलता है तो नाम में भी सही।
बीमारी पता चलने के बाद मैंने सबसे पहले मैंने अपना जमा रुपया, इंश्योरेंस बाकी प्रॉपर्टी के कागज़ चेक करवाये। मैं नहीं चाहता था मेरी मौत के बाद मेरी पत्नी जेनिफ़र दुखी और अभाव में जीये। पर ज़रूरी कागज़ों पर साईन करने से कुछ पहले मेरी हालत बिगड़ गयी किसी तरह जैसे-तैसे डोलते दिमाग से सिगनेचर किये।
फिर जब उठा तो आत्मा था, मुझे लगा जवान मरा था इसलिए गॉड ने भटकती आत्मा बना दिया। सब कुछ जल्दी हो गया यह मैं सोच ही रहा था की तभी अपनी एक गलती याद आई की जल्दबाज़ी में मैंने अपने रेगुलर साइन मार दिए जबकि बैंक, प्रॉपर्टी और पैसो के मामलो मैं अलग साइन करता था। अभी मौत को कुछ घंटे हुए थे तो डाक्यूमेंट्स घर पर ही होंगे। तभी मैं सोचूँ गॉड ने मुझे अतृप्त आत्मा क्यों बना दिया, मैंने गॉड को थैंक्स कहा और अपने घर आया। देखने का मन भी था की जेनिफ़र बेचारी किस हाल में होगी मेरे जाने के बाद।
बंगले गया तो देखा हराम की पिल्ली ने 'इन-हाउस पार्टी' (in-house party) रख रखी थी अपने ख़ास दोस्तों और पुराने लवर के लिए। मतलब हद्द होती है, पति की बॉडी से रेटिना भी डीकम्पोज़ नहीं हुए और ये कुत्ती रंगरलियाँ मनाने लगी। पति बेचारा कब्र तोड़ के आ रहा है मदद करने और यहाँ अय्याशी चल रही है।
मन किया बुलडोज़र लेके कूच दूँ सबको। फिर अंदर आया एक-दो ड्रिंक्स ली, कुछ तरावट सी आई। फिर पार्टी के बीच में एंट्री मारी। मुझे देख सब स्टेचू हो गए।
"रिलैक्स! हराम की पिल्ली और बाकी सुवर की नाजायज़ औलादों! फाइल्स पर सिग्नेचर गलत हो गए थे वो सही करने आया था। यहाँ का नज़ारा देखा तो सोचा मैं भी पार्टी पीपल में शामिल हो जाऊँ।"
कुल आठ लोग थे - 2 बुढ़ऊ सदमे से मर गए, पाँच को एक झटके में निपटाया और फिर जीने के नीचे बनी लैट्रीन में छुपी जेनिफ़र को बाल पकड़ के बाहर निकाला।
"अरी पगली, मैं भूत हूँ.... चुतिया नहीं हूँ। मुझ से छुप रही है। अच्छा हुआ अभी आया, लेट नाईट आता तो परिवार नियोजन करती हुयी मिलती पुराने यार के साथ।"
मैंने जूता उठाया और उसे मारता रहा जब तक उसका चेहरा गायब होकर पहचाने लायक नहीं बचा। जाते-जाते पुराने कागज़ जला दिये और सही वाले साईन कुतिया के मुहँ पर गोद दिये।
अच्छा सुनो यह कहानी फ्री में नहीं सुनाई। मेरी कब्र रिपेयर करवा देना यार, ये... उम्म... कोट की जेबों में ढाई लाख ही ठूँस पाया जो बचे वो दान कर देना.. .... नहीं तो....अरे मज़ाक कर रहा हूँ, ऐश करना बस बीवी ढंग की देख समझ के चुनना।
चलो बाय!
समाप्त!
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