अपने देश के अलावा हम सभी की 1-2 पसंदीदा टीम होती हैं। अगर हमारी टीम आईसीसी टूर्नामेंट जैसे वर्ल्ड कप, चैंपियंस ट्रॉफ़ी या एशिया कप में हार जाती है, तो मन करता है कि खास हमारी दूसरी पसंदीदा टीम जीत जाए। भारत के बाद मेरे लिए वह टीम हमेशा दक्षिण अफ़्रीका रही। कुल जीत-हार के अनुपात में दक्षिण अफ़्रीका का रिकॉर्ड काफ़ी अच्छा है (लगभग 60% जीत की दर)। 1990 के दशक की शुरुआत में वापसी के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान जैसे देशों से कई सीरीज़ जीती हैं।
हालांकि, आईसीसी टूर्नामेंट में उन्हें चोकर का ताना मारा जाता है - कई बार बड़े टूर्नामेंट में सामने वाली टीम के अलावा डकवर्थ लुइस, बारिश आदि किस्मत के घटकों से इस टीम को हार मिली है, लेकिन कई देशों वाले एक गैर-आईसीसी टूर्नामेंट में उन्हें जीत मिली। मलेशिया में हुए 1998 के कॉमनवेल्थ या राष्ट्रमंडल खेलों में 16 देशों वाले फ़ॉर्मेट में क्रिकेट को शामिल किया गया था। फाइनल में उस समय जैसे अश्वमेघ यज्ञ का रथ दौड़ा रही ऑस्ट्रेलिया की लगाम दक्षिण अफ़्रीका ने पकड़ी और स्वर्ण पदक अपने नाम किया। इससे पहले सेमी-फाइनल में फिर लगने लगा था कि श्रीलंका उन्हें चोकर का तमगा पहना देगी। आखिर में, एक विकेट से जीत कर दक्षिण अफ़्रीका ने किस्मत को ठेंगा दिखा दिया। इस टूर्नामेंट में भारत ने अपनी कुछ हल्की टीम भेजी थी जिस वजह से हम पहला दौर पार नहीं कर पाए, लेकिन एक जांबाज़ टीम को मैडल जीतते देखना सुखद था। इस बात का दूसरा पहलु यह है कि दक्षिण अफ़्रीका ने फिर भी पदक जीता, बड़े टूर्नामेंट की ट्रॉफ़ी अभी बाकी है...देखते हैं, कितना इंतज़ार करना होगा।
#ज़हन
रोचक..क्रिकेट से मेरा इतना लगाव नहीं है लेकिन दक्षिण अफ्रीका के जॉन्टी रहोड्स और हैंसी क्रोनिए का नाम आज तक याद है... जॉन्टी इसलिए क्योंकि यह अच्छी फील्डिंग का पर्याय बन चुके थे और हर गली क्रिकेट टीम में एक जॉन्टी का होना जरूरी समझा जाता था....हैंसी भी अच्छा खिलाड़ी था लेकिन शायद याद मैचफिक्सिंग और अपनी असमय मौत के कारण याद है...
ReplyDeleteसहमत! 90 के दशक के बच्चों-किशोरों के लिए जॉन्टी जैसे अच्छी फील्डिंग का पर्यायवाची रहा। हैंसी क्रोनिए के जीतने की दर मैचफिक्सिंग में शामिल होने के बाद भी उस समय के हिसाब से बहुत अच्छी थी। वैसे आपको कौनसे खेल पसंद हैं?
Deleteखेल देखना मुझे कभी भी पसंद नहीं रहा.... हाँ खेलने में तो क्रिकेट, बैडमिंटन, गिल्ली डंडा इत्यादि ठीक लगते थे... कभी कभी बास्केटबाल पर भी हाथ आजमा लेता था..
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