A tribute to Netaji Subhas Chandra Bose
with Artist Mr. Vibhuti Dabral
"Bose's arrest and subsequent release set the scene for his escape to Germany, via Afghanistan
and the Soviet Union. A few days before his escape, he sought solitude
and on this pretext avoided meeting British guards and grew a beard on
the night of his escape, he dressed as a Pathan to avoid being
identified. Bose escaped from under British surveillance at his house in
Calcutta. On 19 January 1941, accompanied by his nephew Sisir K. Bose
in a car that is now on display at his Calcutta home."
Wrote Biographical Ghazal on him last year
"वो कोई पीर रहा होगा ..."
ग़ुलामी के साये मे जो आज़ाद हिन्द की बातें करता था ...
किसी दौर मे खून के बदले जो आज़ादी का सौदा करता था ...
बचपन मे ही स्वराज के लिये अपनों से दूर हुआ होगा ...
बस अपनी सोच के गुनाह पर जो मुद्दतों जेल गया होगा ...
वो कोई पीर रहा होगा ....
क्या बरमा ...अंडमान ..
क्या जर्मनी ...जापान ...
शायद ये जहाँ था उसके लिए छोटा ...
किसी दौर ने गोरो पर बंगाली जादू चढ़ते देखा होगा ..
फरिश्तो ने जिसका सजदा किया होगा ....
वो कोई पीर रहा होगा ....
अंदर सरपरस्त साधू .... बाहर पठान का चोगा ...
खुद की कैद को उसने अपनी रज़ा पर छोड़ा था ..
अंग्रेजो की आँखों का धोखा ....
कहाँ ऐसा हिन्द का हमनवां होगा ..
वो कोई पीर रहा होगा ...
जहान को कुछ बताने ..रविन्द्र सी ग़ज़ल सुनाने ...
या शायद धूप-छाँव का हिसाब करने ज़मी पर यूँ ही आ गया ..
न उसके आने का हिसाब था ..और न जाने का ...
और कहने वाले कहते है वो 1945 के आसमां मे फ़ना हो गया ...
काश रूस पर सियासी बर्फ़ न जमा होती ...
अगर ये बात सच होती तो अनीता-एमिली की आँखों ने दगा दिया होगा ...
गाँधी से जीतकर भी जिसने महात्मा को जिया होगा ...
वो कोई पीर रहा होगा ...
वाकिफ जिंदगी मे जो कभी रुक न सका ....
गुमनामी मे दरिया पार किया होगा ...
दूर कहीं या पास यहीं कितनी मायूसी मे मुल्क को जीते-मरते देखा होगा ...
आज़ाद होकर अपने ज़हन से दूर हुआ होगा ...
वो कोई पीर रहा होगा...
वो कोई पीर रहा होगा...
- Mohit Sharma (Trendster)
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