Doga movie ka annoucement 2008 mey ho gaya tha aur excited fans ne Orkut par unofficial Doga Movie Community banai thi, forums aur baaki comics communities mey bhi "what if" analysis aur possibilities, etc par charcha ho rahi thi. Maine bhi Doga par 3 lyrics/songs likhe. "Kyu Phenka Kude par..?" k liye to maine Yashpal Foundation Award bhi jeeta baad mey (2009).
Here is the Orkut Thread (Once you login you will see the poster's names instead of "Anonymous", as RC Forums are down...I am unable to give the thread.)
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Saath hi Dana Dan Doga naam bhi mil gaya jo aage Doga ki ek comic series mey uski pehchaan bana.
1). क्यों फेंका कूडे पर..?
मुझको साया दिखा....और उसके पीछे रौशनी,
पल मे यूँ गुम गया जैसे था ही वो नहीं,
छोडा मुझे अनजाना सा...बेगाना सा यहाँ,
खुद से मै पूछता मुझको जाना अब कहाँ?
ओ माँ...........
क्यों फेंका कूडे पर....मेरी माँ??
हमम..क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ???
कैसे कर लूँ मै इस बात का यकीन?
होश आया नहीं.... और मै बन गया यतीम.
क्या थी मजबूरी या मुझमे कुछ कमी,
आँचल के बदले क्यों मिली मुझे ज़मी?
आहट हो जब भी तो लगता है यही,
देखे तू मुझको छुप के कहीं...
कबसे तुझको ढूँढता फिर रहा...
देख ना...तेरा बेटा मुंबई का बाप बन गया...
ओ माँ.....
क्यों फेंका कूडे पर....मेरी माँ...!!
हमम….क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ??
धुन्दला सा याद है अब तक साया वो तेरा,
आँचल मे क्यों ना दी पनाह?
इतना तो सोचा होता....
नन्ही सी जान और इतना बड़ा जहाँ....
बचपन तो गया...फिर भी वक़्त है थमा....
मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ??
पल मे यूँ गुम गया जैसे था ही वो नहीं,
छोडा मुझे अनजाना सा...बेगाना सा यहाँ,
खुद से मै पूछता मुझको जाना अब कहाँ?
ओ माँ...........
क्यों फेंका कूडे पर....मेरी माँ??
हमम..क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ???
कैसे कर लूँ मै इस बात का यकीन?
होश आया नहीं.... और मै बन गया यतीम.
क्या थी मजबूरी या मुझमे कुछ कमी,
आँचल के बदले क्यों मिली मुझे ज़मी?
आहट हो जब भी तो लगता है यही,
देखे तू मुझको छुप के कहीं...
कबसे तुझको ढूँढता फिर रहा...
देख ना...तेरा बेटा मुंबई का बाप बन गया...
ओ माँ.....
क्यों फेंका कूडे पर....मेरी माँ...!!
हमम….क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ??
धुन्दला सा याद है अब तक साया वो तेरा,
आँचल मे क्यों ना दी पनाह?
इतना तो सोचा होता....
नन्ही सी जान और इतना बड़ा जहाँ....
बचपन तो गया...फिर भी वक़्त है थमा....
मुझे बता...ओ माँ....क्यों फेंका कूडे पर मेरी माँ??
2). दना दन डोगा
सड़के सुनसान जब,
शहर बेजान जब,
आये तूफ़ान तब,
जो है...धिन धिनक धिन डोगा...
बोलो धिन धिनक धिन डोगा....
शोला वो आग का,
सीना फौलाद का,
दुश्मन अपराध का,
दे दे...दे दना दन डोगा...
ये है दे दना दन डोगा.....
आहट हो खून की,
चीखें मासूम की,
गुर्राए सूरत वो कुत्ते सी...
जो है धुम धड़क धुम डोगा...
आहा धुम धड़क धुम डोगा...
जिस्म पर बारूद लपेटे,
दिल मे तूफ़ान समेटे,
जिसके दम पर मुंबई वाले चैन से सोते,
वो है..दे दना दन डोगा...
अपना दे दना दन डोगा.....
मिला सदा ठोकरों का साथ,
होश मिलते ही हो गया अनाथ,
अब है मुंबई का बाप,
अपना धुम धड़क धुम डोगा...
ये है धुम धड़क धुम डोगा....
आये तूफ़ान तब,
जो है...धिन धिनक धिन डोगा...
बोलो धिन धिनक धिन डोगा....
शोला वो आग का,
सीना फौलाद का,
दुश्मन अपराध का,
दे दे...दे दना दन डोगा...
ये है दे दना दन डोगा.....
आहट हो खून की,
चीखें मासूम की,
गुर्राए सूरत वो कुत्ते सी...
जो है धुम धड़क धुम डोगा...
आहा धुम धड़क धुम डोगा...
जिस्म पर बारूद लपेटे,
दिल मे तूफ़ान समेटे,
जिसके दम पर मुंबई वाले चैन से सोते,
वो है..दे दना दन डोगा...
अपना दे दना दन डोगा.....
मिला सदा ठोकरों का साथ,
होश मिलते ही हो गया अनाथ,
अब है मुंबई का बाप,
अपना धुम धड़क धुम डोगा...
ये है धुम धड़क धुम डोगा....
3). ...हमे डोगा से प्यार है!!
Maybe Lomdi or Monica can sing this song in Doga movie...
सूरज को ढककर निकले जो डोगा,
रोज़ अनजानी राहो पर ना जाने क्या होगा?
अंधेरो को रोशन करता रहे...
अपराधो से हर दम लड़ता रहे.....
तो मुंबई क्यों ना कहे?
मुझे शाम का इंतज़ार है...
मुझे डोगा से प्यार है.....
जिस्म पर बारूद लपेटे....
ज़हन मे आग समेटे....
बाहर से चाहे पत्थर दिखे...पर जिसके दिल मे सबके लिए आंसू बहते.
शहर वाले जिसे असली मर्द कहते,
मजलूम जिसके लिए गाते रहते.....
मुझे शाम का इंतज़ार है......
मुझे डोगा से प्यार है.....
फरिश्तो मे वो फ़रिश्ता,
दरिंदो का वो दरिंदा,
जिसके रहते इंसानियत नहीं होती कभी शर्मिंदा,
जिसके भरोसे चैन से रहता है शहर का हर बाशिंदा,
मुझे शाम का इंतज़ार है....
मुझे डोगा से प्यार है....
रोज़ अनजानी राहो पर ना जाने क्या होगा?
अंधेरो को रोशन करता रहे...
अपराधो से हर दम लड़ता रहे.....
तो मुंबई क्यों ना कहे?
मुझे शाम का इंतज़ार है...
मुझे डोगा से प्यार है.....
जिस्म पर बारूद लपेटे....
ज़हन मे आग समेटे....
बाहर से चाहे पत्थर दिखे...पर जिसके दिल मे सबके लिए आंसू बहते.
शहर वाले जिसे असली मर्द कहते,
मजलूम जिसके लिए गाते रहते.....
मुझे शाम का इंतज़ार है......
मुझे डोगा से प्यार है.....
फरिश्तो मे वो फ़रिश्ता,
दरिंदो का वो दरिंदा,
जिसके रहते इंसानियत नहीं होती कभी शर्मिंदा,
जिसके भरोसे चैन से रहता है शहर का हर बाशिंदा,
मुझे शाम का इंतज़ार है....
मुझे डोगा से प्यार है....
MAst hai bava mja aa gya :D
ReplyDeletebahut badhiya ... baba ji ... lyrics bhi achi hai aur image bhi ..
ReplyDeletehttps://t.me/rajcomicsrises
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