अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Saturday, August 4, 2018

दांव #poetry #zahan


रोटी के रेशों में चेहरा दिखेगा, 
उजली सहर में रंग गहरा दिखेगा। 
सच्चे किस्सों पर झूठा मोल मिलेगा,
बीते दिनों का रास्ता गोल मिलेगा। 

किसको मनाने के ख्वाब लेकर आये हो?
घर पर इस बार क्या बहाना बनाये हो?
रहने दो और बातें बढ़ेंगी,
पहरेदार की त्योरियां चढेगीं। 
चलो हम कठपुतली बनकर देखें,
जलते समाज से आँखें सेंके। 

हाथों की लकीरों में उलझ जाएगा,
हमें बचाने भी कोई हमसा ही आएगा। 
फिर ना निकले कोई सिरफिरा,
तमाशबीनों का मज़ा किरकिरा। 

कुछ तो मन बनाना पड़ेगा,
नहीं तो अपना कर्ज़ा बढ़ेगा। 
चाल चलकर देख ही लो...
हाथ तो दोनों सूरत में मलना पड़ेगा। 
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#ज़हन

One of the Introductory poems by yours truly - Ibadat Ishq ki (Book) by Vikas Durga Mahto

Friday, August 3, 2018

कौवों का हमला Novel credits


यह अजय जी का बडप्पन है कि उन्होंने मेरी छोटी सी मदद पर आभार व्यक्त किया। उनकी पुस्तक "कौवों का हमला" अमेज़न किंडल पर उपलब्ध है। (Book Linkवैसे किताब बच्चों के लिए है पर इसकी कहानी का रस हर आयु वर्ग के पाठक को भायेगा। शुभकामनाएं!