"अक्सर कुछ बातें छूट जाती हैं...कब?
जब काम की जल्दबाज़ी में किसी अपने के साथ चल रही चाय...थोड़ी छोड़नी पड़ती है।
जब किसी खूबसूरत अनजान राह पर उतरने के ख्याल भर को दुनिया की बंदिशें रोक देती हैं।
जब किसी के पास रहने की आदत के बीच एक दिन वह हमेशा के लिए चला जाता है।
जब बरसों किसी से बताने को मन के किसी कोने में संभाल के रखी बातों से ज़रूरी कुछ आन पड़ता है...
बड़ी बातों का लिहाज कर छोटी बातें घूंघट कर लेती हैं।
समय के साथ...यूं ये कुछ बातें कई बन जाती हैं। बस इन्हीं कुछ या कई बातों को 'कलरब्लाइंड बालम' संग्रह में पिरोया है। ज़रा ठहर कर पढ़ें शायद इससे कोई छूटी बात आपको भी याद आ जाए..."
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रोचक। किताब आर्डर कर ली है। जल्द ही डिलीवर हो जाएगी।
ReplyDeleteशुक्रिया, विकास जी. :)
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