अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Sunday, February 28, 2016

50 वर्ष की अनिद्रा (कहानी) - मोहित शर्मा (ज़हन)

कुश्ती में विश्वविख्यात पहलवान शिव मोंगा बढ़ती उम्र की वजह से संन्यास ले रहे थे। उन्हें विश्व कुश्ती परिषद एवम अन्य स्थानीय, अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन्स सम्मानित कर रहीं थी। पत्रकारों, प्रशंषको से सवालों की बौछार हो रही थी। करियर के हर पड़ाव को याद कर शिव किस्से सुना रहे थे।  

जब सवाल पूछा गया कि उनके लिए सबसे कठिन चुनौती कौन पहलवान था। तो उनके जवाब से पहले कई मशहूर पहलवानो के नाम जनता में से आने लगे जिनके साथ वर्षो तक शिव की तगड़ी प्रतिद्वंदिता चली। 

"ऐसे एक नहीं दो पहलवान थे, पर जो आपने अंदाज़ा लगाया रेसलिंग में ना सर्बिया का चैंपियन ना मेक्सिको का दैत्य मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती था। गांव में निर्मल भूरा नाम के पहलवान ने मुझे खूब पटखनी दी। उन कुछ महीनो में अक्सर निर्मल से हार कर मैं इतना हतोत्साहित हो गया था कि कुछ और काम करने की सोचने लगा था, पर ऐसा होने से पहले गरीबी में वह पहलवानी छोड़ पटवारी बन गया और मैं घर के सहयोग से आगे बढ़ता चला गया। मैं चाहता तो उस वक़्त पैसो की मदद से उसको पहलवानी जारी रखवा सकता था पर मैंने ऐसा किया नहीं। दूसरा मेरा जुड़वाँ भाई विष्णु। वह मुझसे कुछ सेकण्ड्स छोटा था पर फूर्ति और दांवपेच में बहुत आगे। बचपन उसके साये में बीत रहा था। मैं तंग आ गया था उसे मिल रहे प्यार और इनामों से। 8-9 साल की उम्र में एक बार नहर में नहाते हुए उसे धक्का दे दिया और वह डूब कर मर गया। शायद ऊपर मेरा भाई, माँ-बाप और जनता मुझे माफ़ कर दें। ये मेरी आँखों के नीचे काले घेरे बचपन से हैं। 50 सालों से करवट बदलता रहा हूँ। कम से कम आज के बाद चैन से सोऊंगा।" 

समाप्त!


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