यूँ ही फिर दिल को कोई नयी बात लुभा गई,
गिचपिच, मन की संकरी गलियों से किसी पुरानी याद को हटा गई…
जो याद हटी….जाते-जाते आखरी बार ख़्वाब में आ गई…
गिचपिच, मन की संकरी गलियों से किसी पुरानी याद को हटा गई…
जो याद हटी….जाते-जाते आखरी बार ख़्वाब में आ गई…
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दुनियाभर को बकवास जिसने बताया,
वो रुखा दार्शनिक…एक बच्चे की मुस्कान पर रिझ गया…
कितने बही खाते सिफर में उलझे रहे,
और एक तस्वीर में सारा जहाँ सिमट गया…
अब याद नहीं…बेमतलब बातों में कितना वक़्त साथ गुज़ारा,
तुमसे आँखों के मिलने का पल मेरे पास रह गया….
वो रुखा दार्शनिक…एक बच्चे की मुस्कान पर रिझ गया…
कितने बही खाते सिफर में उलझे रहे,
और एक तस्वीर में सारा जहाँ सिमट गया…
अब याद नहीं…बेमतलब बातों में कितना वक़्त साथ गुज़ारा,
तुमसे आँखों के मिलने का पल मेरे पास रह गया….
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