घने दरख्तों की आड़ में छुप कर क्या पाओगे??
जब जंगल ही मौत बन जाये ....मौत में ही कहाँ आसरा पाओगे??
बदहवास जीने के लिए दौड़ते ....मौत के पास चले आओगे ..
घुप्प अंधेरे में क्या हरा-क्या लाल ..सिर्फ अपना ही सुर्ख खून सूंघ पाओगे।
जंगल मे ही भटकें थे ...जंगल मे ही समां जाओगे!!
- Mohit Sharma
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