Y - "आखिर हम मीडिया वालो से समस्या क्या है आपको? जो हो रहा है देश में वही तो दिखाया जाता है।"
Z - "तो भाई साधारण लेंस इस्तेमाल क्यों नहीं होता? मैग्नीफाइंग ग्लास क्यों उपयोग करते है आप मीडिया वाले?"
Y - "मैं समझा नहीं!"
Z - "एक उदाहरण, हिंसक अपराधो में भारत का स्थान दुनिया में कहीं बीच में 70-80 रहता है, तो दुनिया को और देशवासियों को ऐसा क्यों लगता है कि ऐसे अपराधों में भारत नंबर एक है? आपकी पैरानॉयड या सेलेक्टिव रिपोर्टिंग के कारण! जैसे एक 800 जनसँख्या वाले इलाके में 50 अपराध होते है और किसी दूसरे 20000 जनसँख्या के इलाके में 500 अपराध होते है। इसका आशय यह नहीं कि 20 हज़ार वाला इलाका ज़्यादा बेकार है बल्कि यह है की 800 लोगो के इलाके में अपराध दर (6.25%) दूसरे इलाके (2.50%) से कहीं अधिक है, ऐसे ही भारत की 130 करोड़ जनता में कम अपराध दर भी दूसरे देशो की तुलना में एक बड़ी संख्या लगती है। पर जब पत्रकारिता नहीं आई तो गणित, अनुपात और तुलनात्मक समझ की क्या उम्मीद करें। आपकी वजह से देश वासियों में बेवजह हीनभावना, गुस्सा और भ्रम की स्थिति रहती है, साथ ही दुनिया भर में भारत से जुड़े सिर्फ नकारात्मक पहलुओं की तस्वीर बनती है। शायद इसी कारण हमसे कहीं छोटे राष्ट्रों में पर्यटन और विदेशी निवेश-व्यापार की स्थिति हमसे बेहतर है। फॉर अ चेंज, औरों पर ज़िम्मेदारी लादने के बजाये खुदपर लादो और सही दिशा में बदलाव लाओ।"
- मोहित शर्मा (ज़हन)
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