आडवाणी को सत्ता नहीं तो इज्ज़त तो दो.....
अब जब श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवार के रूप मे चुन लिए गए है तो स्थिति स्पष्ट हो गयी है और प्रचार के लिए महत्वपूर्ण पार्टी के सभी कार्यकर्ताओ, नेताओ को एक नाम मिल गया है। काफी समय से श्री लाल कृष्ण आडवाणी और मोदी, ये नाम थे जिन पर पार्टी कुछ विभाजित दिखी। लोग सवाल करते है की आडवाणी जी को कैसे समर्थन कर सकते है लोग? पर बात यह है की 1942 मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ने के बाद से 86 वर्ष की उम्र तक उन्होंने 6 दशको से ज्यादा संघ एवम पार्टी के विकास के लिए बड़े योगदान दिए है। अटल जी के कार्यकाल मे उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पद संभाले और उप-प्रधानमंत्री भी रहे। यह उनकी पार्टी मे स्थिति ही है की अब बहुत से वरिष्ठ नेतागण इस घोषणा के बाद उन्हें मनाने उनके निवास पहुँच रहे है।
2004 और 2009 के लोकसभा चुनावो मे वो प्रधानमंत्री का पद नहीं पा सके क्योकि भारतीय जनता पार्टी के बाकी कामो को नज़रंदाज़ कर उसपर सांप्रदायिक पार्टी का ठप्पा लगा कर और व्यावसायिक लालच मे बाकी दलों ने हर बार की तरह सत्ता दूसरी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को तोहफे मे दे दी। इस बार जनता मे गुस्सा ज्यादा है कांग्रेस के विरुद्ध और श्री नरेन्द्र मोदी जी ही उन्हें एक उचित विकल्प दिख रहे है जो गुजरात जैसा विकास मॉडल पूरे देश मे लागू करने का दम रखते है।
तो कहने का तात्पर्य यह है की मोदी जी को चुना जाना सही है पर पार्टी को ध्यान रखना होगा की आडवाणी जी को भी सम्मान सहित मनाया जाये। धीरे-धीरे वो स्वयं स्थिति भांपकर अपने अनुसार कोई वरिष्ठ पद ग्रहण कर लेंगे। ऐसा सिर्फ यहाँ ही नहीं और भी जगह देखने को मिलता है मसलन खेलो मे आज के सुपरस्टार और 15-20 साल पहले के सुपरस्टार की शोहरत मे काफी अंतर होता है।
- मोहित शर्मा
अब जब श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी द्वारा अपने उम्मीदवार के रूप मे चुन लिए गए है तो स्थिति स्पष्ट हो गयी है और प्रचार के लिए महत्वपूर्ण पार्टी के सभी कार्यकर्ताओ, नेताओ को एक नाम मिल गया है। काफी समय से श्री लाल कृष्ण आडवाणी और मोदी, ये नाम थे जिन पर पार्टी कुछ विभाजित दिखी। लोग सवाल करते है की आडवाणी जी को कैसे समर्थन कर सकते है लोग? पर बात यह है की 1942 मे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ने के बाद से 86 वर्ष की उम्र तक उन्होंने 6 दशको से ज्यादा संघ एवम पार्टी के विकास के लिए बड़े योगदान दिए है। अटल जी के कार्यकाल मे उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण पद संभाले और उप-प्रधानमंत्री भी रहे। यह उनकी पार्टी मे स्थिति ही है की अब बहुत से वरिष्ठ नेतागण इस घोषणा के बाद उन्हें मनाने उनके निवास पहुँच रहे है।
2004 और 2009 के लोकसभा चुनावो मे वो प्रधानमंत्री का पद नहीं पा सके क्योकि भारतीय जनता पार्टी के बाकी कामो को नज़रंदाज़ कर उसपर सांप्रदायिक पार्टी का ठप्पा लगा कर और व्यावसायिक लालच मे बाकी दलों ने हर बार की तरह सत्ता दूसरी बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस को तोहफे मे दे दी। इस बार जनता मे गुस्सा ज्यादा है कांग्रेस के विरुद्ध और श्री नरेन्द्र मोदी जी ही उन्हें एक उचित विकल्प दिख रहे है जो गुजरात जैसा विकास मॉडल पूरे देश मे लागू करने का दम रखते है।
तो कहने का तात्पर्य यह है की मोदी जी को चुना जाना सही है पर पार्टी को ध्यान रखना होगा की आडवाणी जी को भी सम्मान सहित मनाया जाये। धीरे-धीरे वो स्वयं स्थिति भांपकर अपने अनुसार कोई वरिष्ठ पद ग्रहण कर लेंगे। ऐसा सिर्फ यहाँ ही नहीं और भी जगह देखने को मिलता है मसलन खेलो मे आज के सुपरस्टार और 15-20 साल पहले के सुपरस्टार की शोहरत मे काफी अंतर होता है।
- मोहित शर्मा
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