अक्सर महीनो, वर्षो बाद पता चलता है की अपना लिखा कुछ इलैक्ट्रोनिक या प्रिंट मीडिया में कहीं प्रकाशित हुआ। ख़ुशी होती है पर छापते समय अखबार, पत्रिका या प्रकाशन लेखक को एक बार सूचित कर दें तो और बेहतर हो।
Blog Posts published in 2 editions of national Daily Dainik Jagran (15 and 16 April 2011)
No comments:
Post a Comment