अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Tuesday, May 19, 2015

जासूसी जंग (Story Ad) #fanfic


जासूसी जंग (Teaser)
तिरंगा - यह सोचना बेकार है साबू कि तुम मुझे अपने आकार या हुंकार से डरा लोगे। मेरा रास्ता छोड़कर बड़ी समस्या पर ध्यान दो।
साबू - बड़ी समस्या के लिए चाचा जी मुस्तैद है, यहाँ जो तुम समस्याएँ खड़ी कर रहे हो उनका बंद होना भी आवश्यक है।
तिरंगा - ऐसा पहली बार नहीं है जो मुझे अच्छाई के बचाव के लिए अच्छाई से ही लड़ना पड़ेगा। यह भी पहली बार नहीं होगा जो मैं एक अमानवीय ताकत के धनि से दो-दो हाथ कर उसे चित करूँगा।
तभी एक फनफनाता अस्त्र हवा में लहरा और तिरंगा के कुछ समझने से पहले ही।

*टन्ननन*
तिरंगा - आईइइइइ.....

बिन्नी चाची - पर ऐसा पहली बार होगा कि एक बेलन से तेरे खोपडे में गुम्मड़ पड़ेगा, हट मेरे बच्चे से दूर।

एक तरफ है देशभक्त डिटेक्टिव तिरंगा और एक ओर है सबके चहेते (तिरंगा के भी) चाचा चौधरी !! कौन करेगा एक गहरे राज़ का पर्दाफाश और जीतेगा यह.....जासूसी जंग !!!

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