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अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...
Saturday, April 30, 2016
Tuesday, April 5, 2016
अच्छी नस्ल (लघुकथा) - मोहित शर्मा ज़हन
श्रीमती जी और श्रीमान जी एक टीवी चैनल के टॉक शो में अतिथि थे। जहाँ श्रीमती जी ने इस वाक्य के साथ अपनी बात ख़त्म की -
"लोगो को सुंदरता के बाहरी आवरण को हटाकर अपने जीवनसाथी का चयन करना चाहिए। केवल बाहरी रूप से किसी पर मोहित होना हमारी छोटी सोच दर्शाता है।" लोगो की तालियों के बीच श्रीमती-श्रीमान जी की मुस्कान दर्शा रही थी कि कॉलोनी और जान-पहचान वालो में कुछ समय तक शो ऑफ करने लायक मसौदा तैयार हो गया है।
घर पहुँच कर श्रीमती जी और श्रीमान जी अपने 2 बच्चों पर पिल पड़े। उनके गुस्से का कारण थे 2 देसी पिल्ले, जो उनके बच्चे पार्क से उठा लाये थे।
गुस्सा शांत होने पर बच्चों को समझाती हुई श्रीमती जी बोली, "बच्चों ये छी-छी वाले, गंदे सड़क के पिल्ले हैं। रोना नहीं, मैं अपने प्रिंस-प्रिंसेस के लिए सुंदर सा लैब्राडोर, गोल्डन रीट्रीवर या पग जो बोलोगे, वो लेकर आउंगी....अच्छी नस्ल के होते हैं ना वो।
समाप्त!
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Monday, April 4, 2016
Event appearance - Kavi Sammelan (March 2016)
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Chhattisgarh, India
Sunday, April 3, 2016
बस एक फोटो भगवान् जी...Only 1 !! #mohitness
सेल्फी लेती अपनी टीनएजर कज़िन से जब पूछा इतनी सेल्फी क्यों ले रही हो। तो उसने कहा हर इवेंट या नयी जगह पर 20-30 सेल्फ़ीज़ लेती है और उनमे से बेस्ट 1-2 को अपने इंस्टाग्राम, ट्विटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया एकाउंट्स पर पोस्ट कर देती है। मुझे सेल्फी लेते हुए किशोरों से काफी जलन होती है। क्यों? यह बताता हूँ...
....बात नवंबर 2005 की है, मैं 12 क्लास में था और मार्च 2006 में इस स्कूल के चक्कर से छुट्टी मिल जानी थी। मेरी एक टीचर ने अचानक यूँ ही क्लास में कहा, "मोहित तुम्हे मॉडल बनना चाहिए।" क्लास में हूटिंग शुरू हो गयी और मुझे भी अच्छा लगा कि चलो फॉर ए चेंज कोई कॉम्पलिमेंट मिला। हाइट को लेकर लोग पहले से कॉम्पलिमेंट देते रहते थे पर उसका ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता था। यह कुछ नया था। कुछ समय पहले तक बहुत पतला था और क्लास 9-10 में लंबाई बढ़ने की वजह से लुक अजीब लगता था। अब शरीर थोड़ा अनुपात में ठीक हो रहा था तो दिखने में बेहतर हो रहा था। खैर, लोगो के कम्प्लीमेंट्स और अटेंशन की मुझे आदत नहीं थी पर अब यह सब अच्छा-खासा मिल रहा था। फिर स्कूल ख़त्म और कॉलेज, कंप्यूटर इंस्टीट्यूट, कैट की कोचिंग के चक्कर शुरू। कॉलेज में ड्रेस कोड नहीं था और ना ही अटेंडेंस का चक्कर पर दिक्कत ये थी की अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम्स को-एड नहीं थे, इसलिए कॉलेज का क्रेज कम हो गया ... ही ही (पढ़ाई भी नाम की होती थी वैसे, बस एग्जाम से कुछ दिन पहले)। स्कूल की पाबंदियां ख़त्म हुयी तो बाल बढ़ाने और लुक पर ध्यान देने का शौक चढ़ा।
बस फिर तो हीरो बन गया। यह परफेक्ट टाइम 2007 के कुछ महीनो तक चला यानी कुल डेढ़-दो साल। उसके बाद धीरे-धीरे लुक और बॉडी बदलने लगी। हालांकि, उसके बाद कुछ सालो तक आउट ऑफ़ कंट्रोल कुछ नहीं हुआ पर कॉम्पलिमेंट पहले कम और धीरे-धीरे बंद हो गया....मतलब वो बात नहीं रही। फिर मेरा ध्यान भी पढाई, लेखन और दोस्तों में लग गया। उस समय की ख़ास बात यह भी है कि तब टेलीकॉम सेक्टर, मोबाइल बहुत विस्तार कर रहा था। फिर भी मोबाइल एक नोवेल्टी था, खासकर टीनएजर के लिए। मिडिल क्लास घर में पापा-मम्मी के पास मोबाइल फ़ोन होते थे, बाकी लोग घर के लैंडलाइन फ़ोन या पापा-मम्मी के मोबाइल से ही काम चलाते थे। हमे जो मोबाइल मिलते भी थे तो नोकिया के सांप के खेल वाले, बिना मल्टीमीडिया वाले बेसिक फ़ोन। मैन्युअल कैमरा कहीं दबा पड़ा होगा घर में, जिसको कभी इस्तेमाल किया नहीं। उस दौर में फोटोज कम खींची और जो खींची तो कभी मोबाइल की मेमोरी बचाने को डिलीट कर दी, कभी दोस्त की हार्डड्राइव क्रैश हो गयी तो कभी बात टल गयी। तब ऑनलाइन फोटो अपलोड करने का भी इतना ट्रेंड नहीं था। बस यह 1-2 सालों का ट्रांज़िशन समय था फिर तो मोबाइल लगभग सबके पास हो गए थे। अभी यह बातें अटपटी लगें पर उस समय टीनएज में रहे लोग समझ रहे होंगे।
तो सार ये है कि उस समय का मेरा एक....योर हॉनर....एक भी फोटो नहीं है। फिर लुक या शरीर कभी प्राथमिकता नहीं रहे तो समय के साथ वज़न बढ़ा, रात में जगे रहने से चेहरा सूजा-सूजा सा लगने लगा, सोने पर सुहागे एक-दो चोट के निशान परमानेंट हो गए, 2-4 बच्चों के बाप का सा लुक आ गया। खैर, फिट तो मैं हो जाऊँगा.... अपनी उम्र के हिसाब से ठीक लगूंगा पर ये मलाल रहेगा कि लुक वाइज़ अपने प्राइम के, थोड़े शो ऑफ के लिए...अपने बच्चे-नाती-पोतों को दिखाने के लिए कुछ सही सा होगा नहीं। खैर, जो होता है अच्छे के लिए होता है। मॉडल किसी और जन्म में बन लूंगा। :) :p
tongue emoticonsmile emoticon
P.S. EK bike waali pic November 2007 ki hai aur ye khambe waali 2008 k end quarter mein kabhi.....
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