भारत की विदेश नीतियाँ काफी रक्षात्मक होती है जबकि छोटे-छोटे देश तक अपने नागरिकों, सुरक्षा और व्यापार के मामलो मे आक्रामक रहते है। वैसे तो नीतियाँ सामने पड़ी स्थितियों के हिसाब से बनायीं जानी चाहिए पर भारत के द्वीपक्षीय या बहुपक्षीय मामलो मे ऐसा लगता है कि भारत डरा सा देश है ...मानो हम भारत जैसे विशाल देश न होकर मालदीव या मार्शल आईलैंड जैसे छोटे देश है जिनके आक्रामक होने का कोई फायदा नहीं। बांग्लादेशी प्रवासी या नेपाल-बांग्लादेश द्वारा सीमावर्ती ज़मीने हड़पना, उलटी धोंस जमाना ....अक्साई चीन और कश्मीर का इतना बड़ा हिस्सा पाक अधिकृत होना, श्रीलंका जैसा देश जो भारत के 1/51 वे हिस्से के बराबर है ...अक्सर तमिलों पर अत्याचार, हमारे मछुआरों को कैद कर लेना।
ऐसा नहीं है की हमारी वायु-थल-जल सेना या अर्धसैनिक बल अक्षम है बल्कि भारतीय सेना के स्टैंडर्ड्स, ट्रेनिंग को विश्व की कठिनतम माना जाता है पर इसका क्या किया जाए की हमारे हुक्मरान पंगु बैठे है।
शांति, आपसी संबंध सब सकारात्मक बातें है पर उसके लिए अपने नागरिक एवम व्यापारिक हितों के साथ रक्षात्मक समझौते कर लेना ठीक नहीं? हमारी सरकार को छोटे पर अपने हितो से समझौते न करने वाले देशो से कुछ सीख लेनी चाहिए।
- Mohit Sharma (Trendster)
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