अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Friday, May 24, 2013

स्वयंसेवी श्रीमती IAS (Bonsai Kathayen)

Story from my book "Bonsai Kathayen" published earlier this year in January. 



स्वयंसेवी श्रीमती IAS

भारत मे 2012 तक 50 लाख से अधिक रजिस्टर्ड स्वयंसेवी संस्थाएं है यानी भारत के लगभग 250 नागरिको पर एक संस्था पर इनमे से बहुत कम ही समाज के सुधार के लिए कार्यरत है। सोचिये अगर हर संस्था ठीक से काम करने लगे तो भारतवर्ष का कितना भला होगा। दुर्भाग्यवश सरकारी, कोर्पोरेट और विदेशी मदद लेने के लिए, टैक्स मे छूट, फ्री या कम दर से रेलवे-आदि यात्रा, समाज मे बिना काम किये अपने नाम की साख और लोगो को ये दर्शाना की हम कितना भला काम कर रहे है ...ऐसे छोटे मकसदो के लिए अधिकतर स्वयंसेवी संस्थाएं अस्तित्व मे आती है। मदद तो वो भूल कर भी नहीं करते। इस विषय पर रोशनी डालने की कोशिश कर रहा हूँ।


मैडम - "देखो तो जी, कितनी चालाक औरत है अपने और परिवार वालो के नाम से पहले ही तीन N.G.O. रजिस्टर करवा रखी है। किट्टी पार्टीज मे बस अपने ही फंक्शन्स और इवेंट्स गाती रहती है। बाकी लेडीज़ की भी 1 या 2 N.G.O. तो है ही, बड़ा लो फील करती हूँ मै इन सबके सामने, मेरे सोशल सर्किल मे मेरा थोडा नाम होना चाहिए ना, अब चैरिटी तो एक बार की और लोग भूल गए कोई नाम की ही सही पर आर्गेनाइजेशन हो तो बताने मे अच्छा सा लगता है। आप काम मे ही लगे रहते हो देखो मै कहे देती हूँ मुझे भी कम से कम दो N.G.O. की संस्थापक तो बनवाओ।"

सर - "हाँ, मै देखता हूँ।"

मैडम - "आप फिर भूल जाओगे और यह साल भी निकल जायेगा।"

सर - "सिविल का एग्जाम क्या घाँस छीलने को निकाला था? देखो अभी एक स्वयंसेवी संस्था तो तुम्हारी पिछले साल की तारीख से रजिस्टर करा दूँगा और एक इस साल की ....इतनी तो पहचान और रुतबा है मेरा शहर मे, और जब दूसरो के इतने बड़े काम करवाता हूँ तो अपनी बीवी का ये छोटा सा काम भी सही। अब तो खुश? अरे! ड्राईवर गाडी सचिवालय की तरफ मोड़ लो, दोपहर हो रही है, जल्दी करो रजिस्ट्रेशन मुझे आज ही करवाना है फिर 2 हफ्तों के टूर पर निकलना पड़ेगा।"

मैडम - "हाँ बहुत खुश! ए जी, ये स्वयंसेवी संस्था क्या होता है? यह रजिस्ट्रेशन ऑफिस की हिंदी है क्या?"

तभी एम्बेस्डर कार एक झटके से रुकी।

सर - "बदतमीज़! देख कर चलाया कर। क्या हुआ? उतर क्यों रहा है?"

ड्राईवर - "सर! कार के नीचे कुत्ते का पैर आ गया ....उसको ..."

सर - "तो तू कुत्ते के पिल्ले की तरह क्यों रुआंसा हो गया है? वापस आकर बैठ यहीं शाम कर देगा निकम्मा ....हरामखोर! ऑफिस बंद हो जायेगा। फिर इस कुत्ते के साथ ही सो जाइयो। कुतियाचो*$%^ कहीं का।"

कुछ देर बाद रजिस्ट्रेशन ऑफिस में।

क्लर्क - "प्रणाम सर! जय हिन्द! आप खुद क्यों आये? वैसे ही बता देते मै रजिस्टर कर देता, अब हुजूर से बड़ा थोड़े ना हो गया यह ऑफिस। मैडम के नाम से 2 स्वयंसेवी संस्था करनी है। मैडम एक महिला उत्थान पर कर देता हूँ आपकी लास्ट इयर की डेट से और जी एक अभी की आवारा जानवरों पर कर देता हूँ क्यों जी ठीक है?"

मैडम - "हाँ! ठीक है। वैसे मैक्सिमम एक नाम पर कितने रजिस्ट्रेशन हो सकते है?"

कुछ देर बाद उसी ऑफिस मे।

"मै हफ्तों से अपनी अनाथ बच्चो के लिए एक संस्था के रजिस्ट्रेशन के लिए यहाँ के चक्कर काट रहा हूँ और यह आपने कुछ मिनटों मे 2 रजिस्ट्रेशन कर दिए। क्या आप मेरे साथ ऐसा बर्ताव नहीं कर सकते?"

क्लर्क - "हाँ जी! कर सकते है बशर्ते आप किसी नेता, सेठ, सेलिब्रिटी या बड़े अफसर की बीवी बनकर आओ ..."

समाप्त!

- मोहित ट्रेंडी बाबा

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