** दिमाग को उल्लू बनाये....आकर्षक ईनाम पायें! **
कहते है भगवान परीक्षा लेते है हमे नयी, अलग और कठिन परिस्थितियों में डाल कर। इन परीक्षाओं का सबसे बड़ा घटक होता है मानव मस्तिक्ष, बाहरी बातें एवम परिपेक्ष तो झेली जा सकती है पर विपरीत बहाव से लड़ते हुए लगातार नकारात्मक विचार के जनक दिमाग को काबू मे रखना और अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करना मुश्किल काम है।
पहला काम जो दिमाग करता है वो आपकी सरहदें तय कर देता है। की आप अपने जीवन में इतना ही पा सकते हो क्योकि आप इतने ही काबिल हो, फिर भी आप अगर उस सरहद के बंधन से कभी छूटने की कोशिश करो तो पुराने कुछ बुरे अनुभवों का हवाला देकर आपकी फूटी किस्मत को आपका दिमाग आपको समय-समय पर याद दिलाता रहता है। सबसे बड़ी गलती हम किसी काम को एकसाथ देखकर उसका आंकलन करने मे करते है अगर एक बड़े काम को उसकी इकाइयों मे बाँट कर देखा और किया जाए तो वो इतना बड़ा हौवा नहीं लगता जितना एकसाथ देखने पर प्रतीत होता है।
दूसरी बात हमारा दिमाग बड़ा चूज़ी नेचर का होता है। देखिये ख़बरें आपको तब मिलती है किसी के बारे में जब वो काम पूरे कर लेता है या कुछ हासिल कर लेता है। बीच मे उसका संघर्ष या जो कुछ घटनाएँ हुई उनसे सरोकार रखना तो जैसे दिमाग ने सीखा ही नहीं। वो सफलतायें, जीत देख कर और हीन भावना भरने की कोशिश होती है आपके दिमाग की पर खुद को आप उस "सफल" व्यक्ति की काम शुरू करने की स्टेज से अपनी तुलना करोगे तो कई बार आप खुद आश्चर्यचकित हो जाओगे की आपने अपने अन्दर क्या सागर छुपा रखा है। अब आखरी दिमागी अड़चन जो जैसा चल रहा है उसके बदलने का डर, गुस्सा ....नयी बातों, चीज़ों और बदलावों को अक्सर दिमाग अनचाहा मानता है। उनसे आपको भी डरा देता है की आगे अगर कुछ बदला तो नकारात्मक ही होगा। हाँ, कुछ बातों मे आपको समझौता करना पद सकता है पर शायद ये समझौतें आगे आपकी मदद करें एक बेहतर जीवन के लिये।
कुछ गंभीर बिमारियों मे मरीजो को बताया गया की कुछ दवाईयाँ इस बिमारी का इलाज है। कुछ समय तक दवाईयाँ लेने के बाद उनमे बड़े सुधार देखे गए जो अन्यथा किसी इलाज, दवा से संभव नहीं थे। असलियत ये थी की वो बस नाम की दवाई थी पर दिमाग को उल्लू बनाकर शरीर ठीक हो गया। नहीं तो दिमाग फिर एक दायरा बांध देता की ये तुम्हारी बिमारी है और तुम ठीक नहीं हो सकते। इसी तरह अपने आज की स्थिति की परवाह किये बगैर दिल से कोशिशें कीजिये क्या पता दिमाग को उल्लू बनाकर आप अपनी किस्मत ठीक कर लें। अगला लेख यारी-दोस्ती पर ....
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