A Minus - "जब-तब लोगो को कहते सुनता हूँ कि फलाना 25 वर्षों से हमारी समिति के सदस्य है, यह वरिष्ठ सदस्या ढिमकानी बहन जी दशको से इस संस्था की सेवा करती आ रही है। इन उदाहरणों में थोड़े वेरिएशंस और जोड़ लो।"
B Plus - "हाँ तो दिक्कत क्या है, कोई वर्षो तक कहीं अपना योगदान दे तो उसका सम्मान होना चाहिए। यह तो लग रहा है तुम जलनवश कह रहे हो प्रादेशिक समिति पुरूस्कार समाहरोह में ऐसे वरिष्ठ लोगो कि धूम देख कर।"
A Minus - "जलन से नहीं अपने विश्लेषण से कह रहा हूँ। अब देखो जैसे तुम समिति से लगभग 4-5 सालों से जुड़े हो जिसमे तुम हर सप्ताह 1-2 बार समिति के कार्यक्रमों, कैंप्स और यहाँ तक कि अवकाश के दिनों में ग्रामीण टूर्स पर भी जाते हो। यानी लगभग सवा 300 सश्रम हाज़िरीयां, अब कई "वरिष्ठ" सदस्य ऐसे होते है जो खानापूर्ति के लिए समिति के वार्षिक समारोह और इक्का-दुक्का ख़ास मौकों पर दिख जाते है और फिर कहते है हम 20 साल से समिति की सेवा में लगे है, यानी 50-60 हाज़िरियां। अब बताओ किस कोण से वो तुमसे अधिक वरिष्ठ हुए?"
B Plus - "पर उनके घर-परिवार भी होंगे, अन्य ज़िम्मेदारियाँ होंगी, क्या पता उनमे कोई-कोई पांच-सात समितियों का भी सदस्य हो। ऐसे कुछ निर्णय सुना देना ठीक नहीं!"
A Minus - "यहीं छिपी है असल बात, जिसने जहाँ जितना योगदान दिया उसको वहां उस अनुपात में फायदा हो, नाम-मान्यता मिले। जो यहाँ नियमित आ रहे है निश्चित ही वो अपनी दूसरी ज़िम्मेदारियों से समय और योगदान बचा कर यहाँ लगा रहे है। अब यह थोड़े ही कि सचिन भी बन जाओ और न्यूटन भी हो लो हवा में। संख्याओं और तुलनात्मक बातों को समझने, उनके पीछे जाने की आदत नहीं है हम सबकी इसलिए आलस में बिना जाँचे फैसले लेते है, इस कारण कई सहायक किरदार भी सुपर हीरो-हीरोइन बना दिए जाते है।
समाप्त!
- मोहित शर्मा (ज़हन)
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