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अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...
Wednesday, August 24, 2016
Monday, August 22, 2016
निर्णय (लघुकथा)
प्रांप्ट - "टूटती शाखें" प्रतियोगिता के लिए
शोल कबीले के सरदार का निर्णय सभी सदस्यों के लिए एक झटका था। उनका प्रमुख जिसने दशकों इस कबीले का नेतृत्व किया, हर सदस्य को जीने के गुर सिखाये...आज उनके द्वीप पर 7 जहाज़ों से आये बाहरी लोगो का प्रस्ताव मान रहा था। सरदार ने स्थिति भांप अपना पक्ष रखा - "मेरा तो जीवन कट गया, पर अपने गार्सिया द्वीप के बदले बाहर ये विदेशी आप सबको बेहतर जीवन और ठिकाना देंगे..."
सरदार की बात एक युवक ने काटी - "...पर अपना सब कुछ छोड़कर उनकी शर्तों पर जीना कहाँ का इंसाफ है? इतने साल आपसे युद्ध कौशल सीखने का क्या लाभ? धिक्कार है ऐसी कायरता पर!"
सरदार - "एक बार मेरे बचपन में कुछ विदेशीयों ने ऐसी शर्त मेरे जन्मस्थान द्वीप टाइगा पर रखी थी। 450 से अधिक कबीलेवासी शर्त न मान कर लड़े और क्या खूब लड़े। उनमे मेरे परिवार समेत सिर्फ 8 परिवार टाइगा से पलायन कर बच पाए। तब जहाज़ 2 थे और इन जहाज़ों से बहुत छोटे थे। उस समय विशाल वृक्ष से टूटी धूलधूसरित शाखें किसी तरह फिर से कोपल सींच पाईं पर ज़रूरी नहीं हर बार ऐसा हो। बाहर जाओ और शोल वृक्ष को समृद्ध करो, इतना की आज उनकी शर्त पर जियो और कल सक्षम बन उनको अपनी शर्त पर झुकाओ। आज ख़ाक हो जाओगे तो कल कभी नही आएगा।"
- मोहित शर्मा ज़हन
Wednesday, August 3, 2016
Interview with Writer Anurag Kumar Singh
Originally Published - http://www.culturepopcorn.com/
श्री अनुराग कुमार सिंह पिछले 8 वर्षो से राज कॉमिक्स के साथ जुड़े हुए हैं। इस बीच उन्होंने कई कॉमिक्स की परिकल्पना, संपादन और लेखन में योगदान दिया। जनवरी 2008 के एक इवेंट में इनसे मिला और पाया कि अनुराग जी एक मृदुभाषी, हँसमुख, मिलनसार व्यक्ति है, जो निरंतर अपनी प्रतिभा को निखारने और नए आईडिया सोचने में लगे रहते हैं। कहानी गढ़ने और सीन-अनुक्रम जोड़ने का इनका तरीका मुझे काफी पसंद है। हालांकि, जितने परिकल्पनाओं का इनके पास भंडार है उस अनुपात में कॉमिक नहीं आयी है अबतक पर आशा करता हूँ आने वाले समय में वो इसकी भरपाई कर देंगे। पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश। - मोहित शर्मा ज़हन
Q) - अपने बारे में बताएं - आपका बचपन, शिक्षा, गांव-शहर, ननिहाल आदि।
अनुराग - मेरा नाम अनुराग कुमार सिंह है! मैं किशनगंज, बिहार का रहने वाला हूँ! मेरी प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा मेरे ननिहाल पूर्णिया में हुई है! वहीँ मेरा बचपन बीता है! मैंने रसायन शास्त्र से स्नातक किया है! और अब राज कॉमिक्स के लिए कहानियां लिखता हूँ!
Q) - कॉमिक्स प्रेम कब जागा और आपकी पहली कॉमिक कौनसी थी?
अनुराग - कॉमिक्स के प्रति प्रेम मेरे अंदर 7 साल की उम्र में ही जाग गया था! मेरे घर में सभी कॉमिक्स नॉवेल्स और पत्र पत्रिकाओं को पढ़ने के शौक़ीन रहे हैं! मेरे पापा फैंटम और मेंड्रेक के फैन रहे हैं! मेरे ननिहाल में भी सभी ऐसे ही रहे हैं! सो मुझे भी पढ़ने की लत शुरू से ही लग गई! मेरी पहली कॉमिक ताऊ जी की कोई कॉमिक्स थी जिसका नाम मुझे याद नहीं है! उसके बाद चाचा चौधरी और डायमंड के अन्य किरदार भी पढ़ लेता था! राज कॉमिक्स की पहली कॉमिक्स जो मैंने पढ़ी थी वो थी कातिलों का क्लब जिसका अगला भाग आज तक नहीं पढ़ पाया! नागराज की पहली कॉमिक जो मैंने पढ़ी थी वो थी प्रलयंकारी मणि और शंकर शहंशाह! तब मुझे पता भी नहीं था कि नागराज क्या चीज है!
Q) - आपके पसंदीदा किरदार कौन हैं और क्यों?
अनुराग - मेरा पसंदीदा किरदार है परमाणु जो हमेशा से मेरा प्रिय किरदार रहा है! इसको लिखने की अतृप्त इच्छा अब भी मेरे मन में दबी है! हालाँकि मल्टीस्टार कॉमिक्स पुनरुत्थान और विस्तार सीरिज़ में मैं परमाणु को लिख चुका हूँ पर सोलो में अब तक कोई मौका नहीं मिल पाया है मुझे! इसको पसन्द करने के कई कारण है! एक तो ये विज्ञान से जुड़ा किरदार है और मैं खुद भी विज्ञान का छात्र रहा हूँ तो इसके प्रति मेरा झुकाव स्वभाविक है! दूसरा मनु जी ने परमाणु/विनय और उनके सभी किरदारों को इतने सुंदर तरीके से चित्रित किया है कि कोई भी कॉमिक रीडर इससे सहज ही जुड़ जायेगा! तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि परमाणु की स्टोरीज और आर्ट का जो स्टैंडर्ड हुआ करता था उसके नीचे गिरने की जो फ्रस्टेशन थी उसने मुझे परमाणु की कहानियों से और ज्यादा जुड़ने और उसे ठीक करने के लिए प्रेरित किया! आप ऐसा भी कह सकते हैं कि मेरे राइटिंग के क्षेत्र में आने का कारण सिर्फ और सिर्फ परमाणु ही था!
Q) - लेखन के क्षेत्र में कैसे कूदना हुआ?
अनुराग - उपरोक्त प्रश्न में मैं ये बता ही चुका हूँ कि लेखन के क्षेत्र में आने का का कारण क्या था! सन 2006 में राज कॉमिक्स ने फोरम की शुरुआत की थी! फोरम से जुड़ने के बाद मुझे मेरे जैसे अन्य मित्र मिले जो राज कॉमिक्स के वर्तमान स्थिति से नाखुश थे! वो उनको सुझाव देते शिकायतें करते! हम आपस में बहस करते! उनमें से कुछ स्टोरी भी लिखते थे! उनको देख कर मेरे अंदर का राइटर भी बाहर आने को आतुर होने लगा! पर एक पूरी स्टोरी लिखनी मुझे आती नहीं थी और नेट के साधन भी सिमित थे! इसलिए मैं सिर्फ शॉर्ट में आइडियाज लिख कर देता था! तब 2008 में फैन मीटिंग में शामिल होने दिल्ली जाने का मौका मिला! जहाँ संजय जी से मिलने के बाद पक्का मन बना लिया कि अब राइटर ही बनना है! और फिर उसके कुछ महीनों बाद ही मैंने राज कॉमिक्स ज्वाइन कर लिया!
Q) - राज कॉमिक्स फोरम के दौर के बारे में नए पाठकों को बताएं।
अनुराग - फोरम के बारे में क्या कहूँ? जितना भी कहूंगा कम लगेगा! ये एक ऐसा मंच था जो हम जैसे पाठकों के लिए किसी वरदान से कम नहीं था! इस मंच ने मुझे खुद को व्यक्त करना सिखाया! अपनी भावनाओं को जाहिर करने का इससे अच्छा मंच हो ही नहीं सकता! नहीं तो इससे पहले कॉमिक पढ़ कर जो भी विचार मन में आते थे वो मन में ही घुमड़ते रहते थे किसी प्रेत की तरह! कहने को बहुत कुछ होता था पर कोई सुनने वाला नहीं होता! फोरम में कई अच्छे दोस्त मिले जो मेरी तरह समान रूचि रखते थे! जिनके साथ खुल कर अपने विचार रख सकता था! बहस कर सकता था!
Q) - जीवन और लेखन में किन कलाकारों, लेखकों और लोगो को अपना आदर्श मानते हैं?
अनुराग - राइटिंग में अनुपम जी, वाही जी और संजय जी को मैं अपना आदर्श मानता हूँ! आर्टिस्ट में अनुपम जी, मनु जी का कोई तोड़ नहीं है!
Q) - अबतक की आपकी सर्वश्रेष्ठ रचना किसे मानते हैं?
अनुराग - जलजीवनी को मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना मानता हूँ! ये कहानी मैंने बहुत मन से लिखी थी और भेड़िया से मानसिक जुड़ाव होने के बाद ये एकमात्र ऐसी स्टोरी है जिसकी परिकल्पना और लेखन सबकुछ मेरा अपना था!
Q) - कई पाठकों को शिकायत है कि आपका काम काफी कम देखने को मिलता है, उनसे क्या कहेंगे?
अनुराग - इसको आप मेरा आलस्य कह सकते हैं या मन की दुविधा! जब तक कोई कांसेप्ट मुझे रोमांचित नहीं करता मैं उससे जुड़ नहीं पाता! मैंने बेमन से भी कई बार लिखने की कोशिश की है पर या तो वो पूरी नहीं हो पाती या फिर आशानुकूल नहीं होती!
Q) - आगामी प्रोजेक्ट्स के बारे में कुछ बताएं।
अनुराग - सर्वनायक विस्तार की आगामी कहानी पर काम कर रहा हूँ!
Q) - युवा लेखकों के लिए आपके क्या सुझाव हैं?
अनुराग - एक ही सुझाव है एडिटिंग प्रोसेस से भयभीत न हों! आपकी कहानी कितनी भी अच्छी हो उसमें गड़बड़ियां सम्भव है! उनको दूर करके ही आपका बेस्ट बाहर आयेगा! इसलिए बीच में ही कोशिश करना बन्द न करें!
Q) - कॉमिक्स परिदृश्य में आपके आने के बाद से क्या बदलाव महसूस किये?
अनुराग - कॉमिक्स अब सहज रूप से उपलब्ध नहीं होता! और अब ये आम लोगों की पहुँच से दूर हो चुका है!
Q) - कॉमिक बेस के सिकुड़ने का क्या कारण है और आपके मत में स्थिति में किस तरह सुधार किया जा सकता है?
अनुराग - कई कारण है! नए रीडर्स का न जुड़ना! पुराने रीडर्स का दूर जाना! महंगा और सहज उपलब्ध न होना! कहावत है जो दिखेगा वही बिकेगा! कॉमिक्स कैरक्टर्स का एनिमेशन, टीवी सीरीज या मूवीज में न आ पाना! सुधार के लिए सबसे जरूरी है नए रीडर्स को जोड़ना! इसके लिए मोशन कॉमिक और एनिमेशन बननी चाहिए। बुक फेयर और कॉमिक कॉन जैसे इवेंट ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। पेंटिंग कॉम्पिटिशन जैसी एक्टिविटी द्वारा भी छोटे बच्चों को कॉमिक्स से जोड़ा जा सकते हैं।
Q) - कॉसप्ले, कॉमिक कॉमिक इवेंट्स पर आपका क्या नजरिया है?
अनुराग - कॉस्प्ले और कॉमिक इवेंट्स कॉमिक इंडस्ट्री के लिए संजीवनी का काम कर सकते हैं। पर इसे छोटे शहरों में भी आयोजित करवाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उन रीडर्स को भी कॉमिक्स से जोड़ सकें जो किन्ही कारणवश कॉमिक्स से दूर चले गए हैं।
Q) - कोई पुराना, बंद हो चुका किरदार लिखने का अवसर मिले तो किसे चुनेंगे?
अनुराग - राज कॉमिक्स में मैं निःसंदेह परमाणु को ही चुनूँगा। अगर दूसरे पब्लिकेशन की बात करूँ तो राम रहीम और तौसी।
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